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‘बैटल ऑफ गोपालगंज’!:महागठबंधन के दल करेंगे सिर-फुटौवल

बिहार के दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। मोकामा पर तो अनंत सिंह के प्रभाव के कारण RJD की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। वहीं गोपालगंज सीट पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। पिछली बार BJP ने यहां जीत दर्ज की थी। इस बार होने वाले उप चुनाव में यहां के लिए घमासान मचना तय है। इसे ‘बैटल ऑफ गोपालगंज’ का नाम दिया जा रहा है। विधायक सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली हुई सीट पर चुनाव हुआ तो महागठबंधन की ओर से एक नहीं, कई दावेदार होंगे।

दरअसल, मोकामा सीट पर तो सत्तापक्ष की ओर RJD की उम्मीदवारी लगभग तय है। अनंत सिंह RJD के टिकट पर इस सीट से जीतते आ रहे थे। अब उनकी सदस्यता समाप्त होने के बाद उपचुनाव होना है। ऐसे में इस सीट पर RJD ही उम्मीदवार उतारेगा, ऐसा तय माना जा रहा है। हालांकि, असली चुनावी लड़ाई होगी गोपालगंज में।

सुभाष सिंह हर बार आसानी से जीतते रहे गोपालगंज
विधानसभा चुनाव 2020 में गोपालगंज सीट से चौथी बार विधायक चुने गए थे सुभाष सिंह। हर बार BJP के ही उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े सुभाष सिंह हर बार आसानी से जीत हासिल करते रहे हैं। 2020 के चुनाव में महागठबंधन की ओर से कांग्रेस ने आसिफ गफूर को उतारा था। नतीजा जो आया, उसमें सुभाष सिंह ने एकतरफा जीत दर्ज की थी।

दूसरे नंबर पर रहे साधु यादव बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार थे। जीत का अंतर 36 हजार वोट था। जबकि आसिफ गफूर को लगभग 36 हजार ही वोट मिले थे। इसके बावजूद यह सीट जब मुख्य चुनाव में कांग्रेस के पास थी। ऐसे में इस बार उपचुनाव में भी कांग्रेस का दावा मजबूत ही है।

भले ही 2020 में तेजस्वी ने गठबंधन के नाते यह सीट कांग्रेस को दे दी, लेकिन प्रदर्शन और सीट के पुराने रिकॉर्ड के कारण राजद का दावा भी यहां कमजोर नहीं है। 2005 के नवंबर में हुए चुनाव में सुभाष सिंह ने पहली बार जीत दर्ज की। इससे पहले के तीन चुनावों में सीट RJD के पास ही रही थी।

इस सीट से 1995 में राम अवतार विधायक बने तो 2000 में साधु यादव ने जीत दर्ज की। फरवरी 2005 में हुए चुनाव में RJD के रेयाजुल हक राजू ने जीत दर्ज की थी। साथ ही 2020 के पहले के तीन चुनावों में RJD ने भले ही चुनाव जीता न हो, लेकिन BJP को टक्कर RJD ने ही दी। इस कारण RJD इसे अपनी परंपरागत सीट मानती रही है।

जदयू का कोई लेना-देना नहीं, लेकिन मंजीत सिंह हो रहे तैयार
इधर, गोपालगंज विधानसभा सीट से JDU का शुरू से ही कोई लेना देना नहीं रहा है। इस सीट से JDU ने कभी चुनाव नहीं लड़ा। 2015 में जब पहली बार महागठबंधन में JDU शामिल हुआ था, तब भी गोपालगंज सीट RJD के खाते में आई थी। इस बार बैकुंठपुर के पूर्व विधायक मंजीत सिंह गोपालगंज सीट से भाग्य आजमाने की तैयारी कर रहे हैं।

वैसे इस पर न तो अभी तक मंजीत सिंह ने कुछ कहा है और न ही महागठबंधन के किसी दूसरे नेता ने। स्थानीय स्तर पर यह चर्चा स्पष्ट है कि मंजीत सिंह गोपालगंज सीट से चुनाव लड़ने की कोशिश में हैं। दरअसल, दो बार विधायक रहने के बाद बैकुंठपुर से महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में 2015 में मंजीत सिंह को BJP मिथिलेश तिवारी ने हराया। जबकि 2020 में निर्दलीय चुनाव लड़कर वे RJD के प्रेमशंकर से हार गए।

अब प्रेमशंकर बैकुंठपुर से विधायक हैं जो RJD के हैं। ऐसे में 2025 में भी इस सीट पर मंजीत सिंह की दावेदारी कमजोर पड़ने की आशंका है। इसलिए मंजीत सिंह की कोशिश है कि सीट ही बदल दी जाए।

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