कर्नाटक में मंदिरों पर टैक्स को लेकर क्यों आमने-सामने हैं कांग्रेस-BJP?

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष BY विजयेन्द्र ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य का खजाना खाली करने के बाद अब सरकार ने मंदिरों पर आंखें गढ़ा दी हैं. कर्नाटक के परिवहन और हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि हम फैसले से राहत दे रहे. भाजपा गुमराह कर रही.

कर्नाटक में भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर हैं. इसका कारण है मंदिरों पर लगने वाला टैक्स, भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है और मंदिरों के राजस्व पर टैक्स लगाकर अपना खाली खजाना भरना चाहती है, वहीं कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि यह कानून नया नहीं है, बल्कि पुराना है.

कर्नाटक विधानसभा में एक दिन पहले ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’. पास किया गया है, इसमें हिंदू मंदिरों के राजस्व पर 10 फीसदी टैक्स लगाए जाने का प्रावधान किया गया है. इसे लेकर भाजपा कांग्रेस पर हमलावर है. भाजपा नेताओं ने कर्नाटक की कांग्रेस को हिंदू विरोधी भी बताया है, हालांकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यदि भाजपा को इस विधेयक से इतनी ही दिक्कत है तो सरकार में रहते हुए उन्होंने मंदिरों से टैक्स वसूली बंद क्यों नहीं की थी.

ये है विधेयक में प्रावधान

कर्नाटक सरकार की ओर से पास किए गए विधेयक के मुताबिक प्रदेश में जिन मंदिरों का राजस्व एक करोड़ रुपये से ज्यादा है उन पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा. वहीं जिन मंदिरों का राजस्व 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक है, उन पर पांच प्रतिशत टैक्स का प्रावधान किया गया है. इसी पर भाजपा हमलावर है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष BY विजयेन्द्रा ने कहा कि सरकार सिर्फ हिंदू मंदिरों को निशाना बना रही है. यह ठीक नहीं है. क्योंकि श्रद्धालुओं द्वारा दिया जाने वाला चंदा मंदिरों के पुनर्निर्माण और श्रद्धालुओं की सुविधाएं बढ़ाने में इस्तेमाल होना चाहिए.

कांग्रेस का तर्क हम फायदा पहुंचा रहे नुकसान नहीं

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडु राव ने कहा कि हम इस विधेयक से मंदिरों को फायदा पहुंचा रहे हैं. विधेयक में हमने संशोधन किया है. भाजपा सरकार में 25 लाख रुपये तक की मंदिरों की आय पर भी 10 फीसदी टैक्स लिया जाता था. अब इस स्लैब को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया है. बीजेपी लोगों को गुमराह कर रही है. मंदिरों से लिए गए टैक्स के धन को C कैटेगरी के मंदिरों के रखरखाव के लिए ही किया जाएगा. कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडु राव ने कहा कि यदि भाजपा को इस कानून से इतनी परेशानी है तो उसे तब क्यों नहीं हटाया जब वे सत्ता में थे, प्रदेश में उनकी सरकार थी.

विधानसभा के बाहर हुंडी लटका दें

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष BY विजयेन्द्रा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य का खजाना खाली करने के बाद अब सरकार ने मंदिरों पर आंखें गढ़ा दी हैं. उन्होंने कहा कि मैं सीएम को सलाह देना चाहता हूं कि मंदिरों की तरफ देखने की बजाय उन्हें विधानसभा के बाहर एक हुंडी लटका देनी चाहिए और लोगों को बता देना चाहिए कि आर्थिक संकट है और सरकार चलाने के लिए उनके पास पैसे नहीं है. जो लोग दान देंगे, उसी से सरकार चलाई जाएगी.

परिवहन और हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री ने किया फैसले का बचाव

कर्नाटक के परिवहन और हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने दस लाख रुपये की सकल आय अर्जित करने वाले मंदिरों से राजस्व इकट्ठा करने संबंधी राज्य सरकार के कदम का बृहस्पतिवार को बचाव किया. उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव नया नहीं है, बल्कि 2003 से ही अस्तित्व में है. कर्नाटक में राजस्व की दृष्टि से सी श्रेणी में तीन हजार ऐसे मंदिर शामिल हैं, जिनकी आय पांच लाख रुपये से कम है और इन मंदिरों से धार्मिक परिषद को कोई पैसा नहीं मिलता है. धार्मिक परिषद तीर्थयात्रियों के लाभ के लिए मंदिर प्रबंधन में सुधार करने वाली एक समिति है.

पांच लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच की आय वाले मंदिर बी श्रेणी में आते हैं, जहां से सकल आय का पांच प्रतिशत 2003 से धार्मिक परिषद को जा रहा है. रेड्डी ने कहा, अब हमने यह किया है कि यदि आय 10 लाख रुपये तक है तो हमने इसे धार्मिक परिषद को भुगतान करने से मुक्त कर दिया है. हमने ऐसे मंदिरों से पांच प्रतिशत राशि वसूलने का प्रावधान किया है जिनकी सकल आय 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये के बीच है. जिन मंदिरों की आय एक करोड़ रुपये से अधिक है, उनसे दस प्रतिशत राजस्व वसूला जायेगा.

पुजारियों की होगी मदद

मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने दावा किया की राज्य में 40 हजार से 50 हजार पुजारी हैं, जिनकी राज्य सरकार मदद करना चाहती है, यदि यह धनराशि धार्मिक परिषद तक पहुंचती है तो हम उन्हें बीमा कवर प्रदान कर सकते हैं. हम चाहते हैं कि अगर उनके साथ कुछ होता है तो उनके परिवारों को कम से कम पांच लाख रुपये मिलें. प्रीमियम का भुगतान करने के लिए हमें सात करोड़ रुपये से आठ करोड़ रुपये की आवश्यकता है. मंत्री ने कहा कि सरकार मंदिर के पुजारियों के बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करना चाहती है, जिसके लिए सालाना पांच करोड़ से छह करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी.

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