तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) पर पूरी तरह से कब्जा जमाया हुआ है. इसके साथ ही वहां के लोगों में डर व्याप्त हो गया है. अधिकांश नागरिक अफगानिस्तान छोड़कर दूसरे मुल्कों में जाना चाहते हैं. वहीं तालिबान ने शुरुआत में कहा था कि वह महिलाओं (Taliban on Women) को काम करने की आजादी देगा. लड़कियां स्कूल जा सकती हैं. हालांकि उसकी इस बात पर किसी को यकीन नहीं हुआ था. इस बीच अब तालिबान ने मंगलवार को यूटर्न ले लिया है. उसने महिलाओं के लिए फरमान जारी किया है कि वे इन दिनों घरों में ही रहें. क्योंकि उसके कुछ लड़ाकों को महिलाओं का सम्मान करने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया है.
ये बातें मंगलवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कही हैं. उसका कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह तब तक के लिए अस्थाई नीति है. जब तक कि तालिबान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर लेता. मुजाहिद का कहना है कि हम अपनी नई सेना को लेकर चिंतित हैं. क्योंकि उन्हें अब तक महिलाओं का सम्मान करने के संबंध में प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. उसने कहा, ‘हम नहीं चाहते हैं कि हमारी सेनाएं महिलाओं को नुकसान पहुंचाएं.’
मुजाहिद ने कहा है कि जब तक हम नई प्रकिया नहीं लाते तब तक महिलाएं घरों में ही रहें. उनकी सैलरी भी उनके घरों पर पहुंचा दी जाएगी. मुजाहिद का यह बयान तालिबान की ओर से पहले दिए गए बयान के विपरीत है.
न्यूयॉर्क टाइम्स को तालिबान नेता अहमदुल्लाह वासेक ने कहा था कि जब तक महिलाएं हिजाब में रहेंगी तब तक उनके नौकरी करने को लेकर कोई परेशानी नहीं है. लेकिन उसका कहना था कि पर अब हम महिलाओं को तब तक घरों में रहने को कहेंगे जब तक कि हालात सामान्य नहीं हो जाते हैं. अब यह सैन्य स्थिति है.
बता दें कि तालिबान ने इससे पहले अफगानिस्तान पर 1996 से लेकर 2001 तक शासन किया है. उसके इस शासन में महिलाओं का बिना मर्द के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी थी.