नूपुर शर्मा द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर अयोध्या के संतो ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. देवी देवताओं के ऊपर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले लोग उनके साथ यह न्याय नहीं है.’ महंत राजू दास ने कहा- ‘नूपुर शर्मा ने वही कहा है जो कुरान में लिखा है और वह भी तब जब देवी-देवताओं के ऊपर अभद्र टिप्पणी की गई. संत धर्माचार्य ने अपील करते हुए मांग की है कि न्यायाधीश को इस पर एक बार विचार विमर्श करना चाहिए. लोग सुप्रीम कोर्ट की तरफ न्याय भरी निगाह से देखते हैं.’
जगद्गुरु परमहंसा आचार्य ने इसे न्यायाधीश का व्यक्तिगत बयान बताते हुए कहा- ‘यह सुप्रीम कोर्ट का बयान नहीं है. यह सीजेआई का निजी बयान है. हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा- ‘मैं देश के संविधान और कानून का सम्मान करता हूं. न्यायालय सर्वोपरि है. नूपुर शर्मा के साथ ज्यादती हो रही है. नूपुर शर्मा के साथ अन्याय हो रहा है. बहुसंख्यक समाज के साथ अन्याय हो रहा है. हिंदू देवी देवताओं के ऊपर भद्दा कमेंट करने वाले के साथ आप अन्याय कर रहे हैं. राजू दास से अपील करते हुए कहा कि पूरे देश में दो मामले ऐसे हुए जिसमें नूपुर शर्मा के समर्थन में दो लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. कोर्ट को अपने फैसले पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिए.
महंत राजू दास ने तर्क देते हुए कहा- ‘ग्रंथों में लिखा है कि रामलला की जन्मस्थली अयोध्या है माता सीता जनकपुर में धरती से पैदा हुई भगवान बनवासी और ग्रह वासी के साथ भोजन करते थे तो इसमें सनातन धर्म संस्कृति की हानि नहीं हो गई. जो कुछ नूपुर शर्मा ने कहा वह तो किताबों में ही लिखा है. नूपुर शर्मा ने कह दिया तो कहां गलत है.’ वहीं तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा- ‘न्यायपालिका सर्वोपरि है और न्यायपालिका का सम्मान सबको करना चाहिए. नूपुर शर्मा मामले पर जो बयान हुआ वह सुप्रीम कोर्ट का नहीं व्यक्ति विशेष का बयान है. कोर्ट को निजी टिप्पणी नहीं करना चाहिए.’