सरकार की वादा खिलाफी पर राज्य कर्मचारियों ने निकाला मशाल जुलूस

पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति, भत्तों की समानता व मुख्य सचिव के साथ हुए अन्य समझौतों पर कार्यवाही न होने से नाराज राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने प्रदेश भर में मशाल जुलूस निकाले। राज्य कर्मचारियों ने सभी जनपदों में जिलाधिकारियों को ज्ञापन भी सौपे। लखनऊ जनपद के राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुभाष चंद्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में सैकड़ों कर्मचारियों ने शाम 4 बजे नगर निगम मुख्यालय से डीएम कार्यालय तक मशाल जुलूस निकाला। कलेक्ट्रेट में हुई सभा में सुरेश रावत ने घोषणा की कि 12 दिसम्बर को परिषद सभी जनपदों में धरना देगी। इसके बाद भी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो 21 जनवरी 2020 को मण्डलों में मंडल मुख्यालय पर कर्मचारी बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। धरने के दिन ही अगले बड़े आन्दोलन की घोषणा भी की जायेगी।

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि 9 व 12 अक्टूबर के आन्दोलनों के बाद शासन ने परिषद की प्रमुख मांगों पर अनेक निर्णय लिए थे। परिषद ने पुरानी पेंशन बहाली की भी प्रमुख रूप से मांग की थी, लेकिन सरकार ने अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। जिससे कर्मचारियों में रोष बढ. रहा है। चिकित्सा विभाग के फार्मेसिस्ट, आप्टोमेट्रिस्ट, लैब टेक्निशियन सहित अन्य संवर्गों की वेतन विसंगति दूर की जा चुकी है लेकिन प्रदेश में अभी भी वेतन विसंगति जारी है। मुख्य सचिव के साथ बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में 03 लाख आउटसोर्सिंग संविदा ठेके कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाने, राज्य कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के माध्यम से राज्य जीएसटी मुक्त सामग्री क्रय की सुविधा का लाभ व कर्मचारी कल्याण निगम कर्मियों की बदहाली दूर करने का निर्णय लिया गया था।

बैठक में समझौता हुआ था कि कल्याण निगम के सामानों में लगने वाला जीएसटी का 50 प्रतिशत भार सरकार वहन करेगी। लेकिन अब तो वित्त विभाग ने कल्याण निगम को बन्द करने का ही सुझाव दे दिया है। जिससे वहां के कर्मचारियों की नौकरी पर ही तलवार लटक गई है। वेतन विसंगति एवं वेतन समिति की संस्तुतियॉ एवं शेष बचे भत्तों पर मंत्रिपरिषद से अनुमोदन लिये जाने, पूर्व विनियमित कर्मचारियों की अर्हकारी सेवाएं को जोड़ते हुए पेंशन निर्धारित करने, डिप्लोमा इंजीनियर्स की भॉति ग्रेड वेतन 4600 – को इग्नोर करके 4800 – के ग्रेड वेतन के समान मैट्रिक्स लेवल अनुमन्य करने, उपार्जित अवकाश में 300 दिन के संचय की सीमा को समाप्त करने, राजस्व संवर्ग सींच पर्यवेक्षक, जिलेदार सेवा नियमावली, एवं तकनीकी पर्यवेक्षक नलकूप सेवानियमावली, अधीनस्थ वन सेवा नियमावली प्रख्यापित करने, सभी संवर्गो का पुनर्गठन, जिनकी सेवा नियमावली प्रख्यापित नही हैं, उसे प्रख्यापित कराने का निर्णय लिया गया था। लेकिन किसी भी समझौते पर विचार नहीं हुआ।

शासन द्वारा संविदा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति का निर्माण फरवरी 2019 में पूर्ण कर लिया गया लेकिन अभी तक मंत्रिपरिषद से पारित नहीं कराया गया। संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की स्थाई नीति जारी न होने से कर्मचारियों का लगातार शोषण हो रहा है। कुछ विभागों में पूर्व से चली आ रही योजनाओं के कार्मिकों को सेवा से बाहर किए जाने की नोटिस पकड़ा दी गयी। इसी प्रकार समझौतों पर कार्यवाही तो नही हो सकी बल्कि उसके स्थान पर राज्य कर्मचारियों पर अभी तक प्राप्त हो रहे छः भत्ते समाप्त कर जले पर नमक छिड़कने जैसा कार्य किया गया। अनेक ऐसे संवर्ग हैं जिनमें छठे वेतन आयोग की वेतन विसंगतियां व्याप्त हैं। केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति भत्तों की समानता, वाहन भत्ता एवं मकान किराए भत्ते के संशोधन के सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। जिससे केन्द्रीय एवं राज्य कर्मचारियों को प्राप्त हो रहे भत्तों में बड़ा अन्तर आ गया है।

यह भी निर्णय लिया गया था कि एक समान शैक्षिक योग्यता वाले संवर्गों को एक समान वेतन भत्ते अनुमन्य किए जाएंगे, चाहे वे किसी भी विभाग में कार्यरत हो, परन्तु वित्त विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। कर्मचारियों की कैशलेस चिकित्सा अभी तक प्रारम्भ नहीं हो सकी, जबकि पूर्व से मिल रहे चिकित्सा प्रतिपूर्ति भुगतान को और जटिल बना दिया गया। निर्णयों को लागू करने के बजाय सरकार 50 वर्ष पूर्ण कर रहे कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त कर रही है। परिषद ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि समझौतों का क्रियान्वयन कराने का निर्देश जारी करें। साथ ही कर्मचारियों का उत्पीड़न राकें।

मशाल जुलूस में उप्र कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्रा, महासचिव शशि मिश्रा, निगम महासंघ के महामंत्री घनश्याम यादव, परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्र, संगठन प्रमुख डाॅ. केके सचान, फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव, महामंत्री अशोक कुमार, सांख्यिकि सेवा संघ वन विभाग के अध्यक्ष डॉ. पीके सिंह, सहायक वन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मो. नदीम, महामंत्री अमित श्रीवास्तव, राजकीय नर्सेज संघ के महामंत्री अशोक कुमार, सिंचाई संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र तिवारी, महामंत्री अवधेश मिश्रा, राजस्व अधिकारी संघ के अध्यक्ष विजय किशोर मिश्रा, वन विभाग मिनिस्ट्रियल के महामंत्री आशीष पान्डे, कर्मचारी संघ ट्यूबवेल टेक्निकल कर्मचारी संघ उप्र के अध्यक्ष उमेश राव, महामंत्री रजनेश माथुर, वाणिज्य कर मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसो. के अध्यक्ष कमल दीप महामंत्री जेपी मौर्य, बेसिक हेल्थ वर्कर एसो. के अध्यक्ष धनन्जय तिवारी, महामंत्री एसएस शुक्ला, मातृ शिशु कल्याण महिला कर्मचारी संघ की अध्यक्षा मीरा पासवान, केजीएमयू कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह, महामंत्री प्रदीप गंगवार, आरएमएल आयुर्विज्ञान संस्थान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रणजीत यादव, महामंत्री सच्चितानन्द मिश्रा, एनएचएम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मयंक सिंह, आप्टोमेट्रिस्ट एसो. के अध्यक्ष सर्वेश पाटिल, राम मनोहर कुशवाहा, महामंत्री एक्स-रे टेक्नीशियन एसो. आरकेपी सिंह, महामंत्री समाज कल्याण मिनि. एसो. के बीएन मिश्रा, डीडी त्रिपाठी, सुनील यादव एलटी एसो., सुभाष श्रीवास्तव जिलाध्यक्ष, जिला मंत्री संजय पांडेय, राजेश श्रीवास्तव, अजय पान्डे, कमल श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1