केंद्रीय कानून राज्य मंत्री और करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव के खिलाफ ताल ठोक रहे भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल (SP Singh Baghel) की मुसीबत बढ़ती दिख रही है. भाजपा कैंडिडेट एसपी सिंह बघेल (Satya Pal Singh Baghel) अपनी जाति बदलने को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं. आगरा के एक अधिवक्ता ने केंद्रीय कानून मंत्री एसपी सिंह बघेल के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी है और अदालत से मामले की जांच की मांग की है. वहीं विशेष न्यायलय ने प्रथम पक्ष को केंद्रीय कानून राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए 18 फरवरी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है.
यह है पूरा मामला
दीवानी के अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने बीते दिनों केंद्रीय मंत्री के जाति प्रमाण पत्र को चुनोती देते हुए वाद प्रस्तुत किया था. अदालत में प्रस्तुत किये गए वाद पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ऊर्फ सत्यपाल सिंह बघेल, सत्यपाल सिकरवार उर्फ सत्यपाल सिंह धनगर व अन्य छह लोगों को संयोजित करते हुए उन पर आईपीसी की धारा 420,467,468,4/1,120B, और 211 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है और अदालत ने इन्हें 18 फरवरी को कोर्ट में साक्ष्य प्रस्तुत कराने का निर्देश दिया.
प्रमाण पत्र पर नहीं है लेखपाल या राजस्व निरीक्षण का उल्लेख
अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी का कहना है कि किसी भी व्यक्ति, राज्य सरकार अथवा न्यायालय को यह अधिकार नहीं है कि वह अनुसूचित जाति की सूची में घटोत्तरी या बढ़ोत्तरी कर सके. उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से हाईकोर्ट के 52 पन्नो वाले निर्णय को आधार मानते हुए बघेल ने अपनी जाति प्रमाण पत्र बनवाया है, उनके द्वारा बनवाये गए जाति प्रमाण पत्र पर किसी लेखपाल या राजस्व निरीक्षक का भी उल्लेख नहीं है.
न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया 14 पन्नो का आदेश
अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने बताया कि एसपी सिंह बघेल ने अपनी पढ़ाई ठाकुर जाति के प्रमाण पत्र पर की, नौकरी पर आते-आते वह ओबीसी की कैटेगरी में आ गए और टूंडला विधानसभा सीट पर 2017 में चुनाव लड़कर विधायक बने. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में आगरा की सीट से सांसद का चुनाव लड़ते हुए एमपी बने और फिर उसके बाद केंद्रीय कानून मंत्री बने. उन्होंने नियमो को ताक पर रखा. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा 14 पन्नों वाले आदेश की कॉपी दी गई है. वहीं अब प्रथम पक्ष को 18 फरवरी को अदालत में पेश होना है.