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Pakistan Crisis: पाकिस्तान के पास नहीं बचा चुनाव कराने तक का पैसा! ये 6 संकेत बता रहे बदहाली का आलम

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ महीनों से गर्त में जा रही है, जिसके कई संकेत स्पष्ट रूप से बताते हैं कि देश 1971 के बाद से अपने सबसे बुरे हालात से जूझ रहा है. 1971 वही साल था जब पाकिस्तान को भारत के खिलाफ युद्ध में मुंह की खानी पड़ी और बांग्लादेश एक आजाद मुल्क बना. पाकिस्तान में स्थिति इतनी खराब है कि आम नागरिक भोजन, बिजली, दवाओं और अन्य जरूरी वस्तुओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं.

आर्थिक उथल-पुथल की बढ़ती चिंताओं के बीच, पाकिस्तान मीडिया ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के प्रवक्ता हाफिज हमदुल्लाह के हवाले से इशारा दिया है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आगामी चुनाव स्थगित कर दिए जाएंगे. तो चलिए जानते हैं कि पड़ोसी देश के हालात कितने खराब हैं? पाकिस्तान के ये आर्थिक संकेत देश की डावांडोल होती अर्थव्यवस्था को जाहिर कर सकते हैं…

विदेशी मुद्रा भंडार 9 साल के निचले स्तर पर
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 4.56 अरब डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई, जो केवल तीन सप्ताह के आयात को कवर कर सकती है. यह एक ऐसे देश के लिए विनाशकारी स्थिति है, जो आयात पर बहुत अधिक निर्भर करता है. रिपोर्टों से पता चलता है कि विदेशी धन में गिरावट संयुक्त अरब अमीरात स्थित दो बैंकों को वाणिज्यिक कर्ज में 1 बिलियन अमरीकी डॉलर के पुनर्भुगतान के कारण है.

राजकोषीय घाटा 43%
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से, पाकिस्तान के राजस्व पर एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 की जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए पाकिस्तान का राजकोषीय घाटा 43 गुना बढ़ गया है. रिपोर्ट में आगे विस्तार से बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान देश का बजट घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत था, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की इसी तिमाही में 0.7 प्रतिशत का घाटा था.

कीमतें आसमान छू गई हैं
पाकिस्तान मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो पाकिस्तान के राजस्व विभाग के मुताबिक 19 जनवरी, 2023 को खत्म सप्ताह के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में संवेदनशील मूल्य संकेतक (एसपीआई) में 32% वर्ष (YoY) के साथ भारी वृद्धि हुई है. इस बीच, विशेषज्ञ बेंचमार्क दर को 17 फीसदी पर लाने के लिए 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी का संकेत दे रहे हैं.

गेहूं की कीमतों ने महंगाई को बढ़ाया
अपनी आवश्यक खाद्य पदार्थों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन से आयात पर निर्भर करता है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से पहले दोनों देशों से पाकिस्तान का गेहूं आयात 1.01 अरब डॉलर था. हालांकि, रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से गेंहूं की आपूर्ति बड़े पैमाने पर बाधित हो गई है. पिर बाढ़ के कारण फसल के नुकसान के साथ-साथ, पाकिस्तान को अनाज की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे कीमतों में भारी वृद्धि हुई है.

पाकिस्तानी रुपया 229 बनाम डॉलर
डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये का मूल्य तनाव का एक और भीषण संकेत है, जिसका सामना देश को करना पड़ रहा है. बढ़ते आयात भुगतान, निर्यात और भेजी गई रकम के तहत घरेलू बाजार में आई कमी के कारण इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में विनिमय दर डॉलर के मुकाबले 229 पाकिस्तानी रुपए पर हो रही है. इसके अलावा, निर्यात और भेजी हुई रकम के तहत संतुलन बिगड़ने से भी रुपये का भाव कम हुआ है.

आईएमएफ से मिलने वाले कर्ज भुगतान में देरी
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और बढ़ोतरी की शर्तों को पूरा करने में विफल रहने के बाद सरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से ऋण लेने में भी विफल रही है. सरकार से कोई स्पष्टता नहीं होने के कारण आईएमएफ अपने 24वें ऋण की मंजूरी में देरी कर रहा है और देश को एक गहरे संकट में धकेल रहा है.

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