कोरोना महामारी के बीच खंडग्रास सूर्यग्रहण सुबह 10.27 बजे लगेगा

ग्रहण के दौरान कई ग्रहों की वक्री स्थिति सूर्य ग्रहण को बहुत ही अधिक प्रभावशाली बनाएगी। ज्योतिष के अनुसार ग्रहण प्राकृतिक आपदाओं का कारक बन सकता है। ये ग्रहण भारत में दिखाई देने वाला है इसलिए इसका सूतक भी मान्य होगा। सूतक काल की शुरुआत शनिवार की रात 10.17 बजे से हो गयी है।

6 ग्रह रहेंगे वक्री: ज्योतिषाचार्य पीके युग के मुताबिक सूर्यग्रहण के समय एक साथ 6 ग्रह वक्री यानी उल्टी चाल चल रहे होंगे। बुध, गुरु, शुक्रशनि, राहू व केतु वक्री रहेंगे। यह ग्रहण आर्थिक मंदी की ओर इशारा कर रहा है। वहीं ग्रहण के समय मंगल जलतत्व की राशि में बैठकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहू पर दृष्टि कर रहा है। यह सब भारी बारिश की ओर संकेत दे रहा है। दूसरी ओर वृहतसंहिता के हवाले से कहा कि एक माह में दो से अधिक ग्रहण लगने से आमजन को कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। रविवार के कारण यह चूड़ामणि योग में लग रहा है। मिथिला विवि. पंचांग के हिसाब से बिहार में रविवार को सुबह 10.27 बजे से दोपहर 1.52 बजे तक इसे देखा जा सकेगा।

ज्योतिषी के मुताबिक यह खंडग्रास सूर्यग्रहण मेष, सिंह, कन्या और मकर को लाभ देने वाला है। मेष को धन का लाभ, सिंह को लाभ, कन्या व मकर को सुख की प्राप्ति होगी। बाकी राशियों के लिये यह मध्यम है। वैसे इस ग्रहण का प्रभाव एक महीना ही रहेगा। जिन राशियों के लिये यह ग्रहण शुभ फलदायी नहीं है उन्हें यह ग्रहण नहीं देखना चाहिये।

मध्य : मध्याह्न 12.10 बजे समापन दोपहर 2.02 बजेभारत समेत नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई, इथोपिया तथा कांगों में दिखाई देगा। ’ भारत में देहरादून, सिरसा और टिहरी में वलयाकार दिखेगा ’ देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखेगा

सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए ’ सूर्य से निकलने वाली किरणें आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, इसलिए इसे देखने के लिए खास तरह के उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए।

ग्रहण के समय किसी भी तरह के शुभ काम नहीं करने चाहिए ’ ग्रहण के समय न तो कुछ खाना चाहिए और न ही कुछ पीना ’ ग्रहण से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए ’ ग्रहण काल में प्रभु का स्मरण करते हुए पूजा, जप, दान आदि धार्मिक कार्य करें ’ सूर्य की उपासना,आदित्य हृदयस्रोत, गायत्री मंत्र का जाप ’ ग्रहण का सूतक काल लगते ही घर में बने पूजास्थल को भी ढक दें ’ ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर लें और पूजा स्थल को भी साफ कर गंगाजल का छिड़काव करें

परिस्थितियां धीरे-धीरे अनुकूल होंगी। गत वर्ष 26 दिसंबर को सूर्यग्रहण था। छह मास बाद दूसरा सूर्यग्रहण है। इस दौरान ग्रह गोचरों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है। इससे कई तरह की आपदाएं, महामारी, जनमानस में असौहार्द्र, शत्रु उपद्रव जबकि राहू से साजिशें, बीमारियों से देश अस्त-व्यस्त रहा है। इस सूर्यग्रहण के बाद इन चीजों में कमी आएगी। यह ग्रहण मिथुन राशि में लगेगा, जबकि राहू भी मिथुन राशि में है। राहू मिथुन से 25 सिंतबर को निकलेगा। यानी इसके बाद परिस्थितियां अनुकूल होती जाएंगी।

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