अपनों के बीच बाबा के नाम से मशहूर शिवानंद तिवारी उन गिने-चुने राजनेताओं में से हैं, जिन्हें राजनीति विरासत में मिली है। वे समाजवादी नेता स्व. रामानंद तिवारी के पुत्र हैं। बताते हैं- 1952 से मैं राजनीति को देख रहा हूं। अब समय आ गया है कि अपने अनुभव को लिख दूं। समय-समय पर उनके आलेख प्रकाशित भी होते रहे हैं। उन्होंने कहा- हम छट्टी पर जाना चाहते हैं। देश के कई बड़े और संपन्न राजनेता छट्टी लेकर विदेश की यात्रा करते हैं। मेरे पास उतना धन नहीं है। सो, देश में भ्रमण करूंगा। बहुत दिनों से संस्मरण लिखने की इच्छा है। कोशिश होगी कि यह इच्छा पूरी हो जाए।
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का बुरा दौर समाप्त होता नजर नहीं आ रहा। लालू के खास माने जाने वाले शिवानंद तिवारी ने भी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से किनारा कर लिया है। जिस तरीके से बयान जारी कर शिवानंद तिवारी ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से छुट्टी ली है, उससे साफ लगता है कि आरजेडी से उनका मोह उपेक्षा के कारण भंग हुआ है।
उन्होंने अपने बयान में लिखा है कि थकान का अनुभव कर रहा हूं। शरीर से ज़्यादा मन की थकान है। तिवारी यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे लिखा कि संस्मरण लिखना चाहता था। वह भी नहीं कर पा रहा हूं। इसलिए जो कर रहा हूं, उससे छुट्टी पाना चाहता हूं।
शिवानंद तिवारी ने लिखा है कि संस्मरण लिखने का प्रयास करूंगा। लिख ही दूंगा ऐसा भरोसा भी नहीं है, लेकिन प्रयास करूंगा। इसलिए आरजेडी की ओर से जिस भूमिका का निर्वहन अब तक मैं कर रहा था, उससे छुट्टी ले रहा हूं। हालांकि, इस बयान से यह साफ है कि उन्होंने आरजेडी से नाता नहीं तोड़ा है, बल्कि केवल पार्टी में अपनी जिम्मेदारी से छुट्टी ली है।