Mahatama Gandhi death Anniversary

शहीद दिवस विशेष: गांधी जी के जीवन के अंतिम पलों से जुड़ी बातचीत

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatama Gandhi) पर कई फिल्में बनी हैं। बापू के जीवन से इतर उनकी हत्या पर भी कई फिल्ममेकर्स ने फिल्में और शार्ट फिल्में बनाई हैं। शहीद दिवस (Shahid diwas) (30 जनवरी) पर ऐसी ही फिल्मों पर एक आलेख…

देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी (Mahatama Gandhi) की विचारधारा की पूरी दुनिया कायल है। उन्होंने 13 जनवरी, 1948 र्को हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने और सांप्रदायिक उन्माद के खिलाफ कलकत्ता (अब कोलकाता) में आमरण अनशन शुरू किया था। यह उनके जीवन का आखिरी अनशन था। 18 जनवरी,1948 को उन्होंने अनशन खत्म किया था। अनशन खत्म करने के ठीक 11 दिन बाद यानी 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे (Nathuram godse) ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।


अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी (Mahatama Gandhi) की पुण्यतिथि को शहीद दिवस (Shahid diwas) के तौर पर मनाया जाता है। गांधी जी की हत्या से पूरे देश को गहरा आघात पहुंचा था। उनके जीवन और विचारों से प्रेरित होकर हिंदी सिनेमा में कई फिल्में बनी हैं, वहीं उनकी नृशंस हत्या पर भी फिल्म और शार्ट फिल्म बनती रही हैं। इस पर बेन किंग्सले अभिनीत ‘गांधी’ उल्लेखनीय है। इसके अलावा करीम ट्रैस्डिया और पंकज सहगल द्वारा निर्देशित ‘द गांधी मर्डर’ फिल्म में महात्मा गांधी (Mahatama Gandhi) की हत्या के कारणों की पड़ताल करने की बात कही गई, लेकिन फिल्म उसमें नाकाम रही। इसमें स्टीफन लैंग, ओम पुरी जैसे कलाकार थे। समीक्षकों ने फिल्म की तीखी आलोचना की। नतीजा यह फिल्म कोई प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही थी।


वास्तविक पहलुओं की पड़ताल

गांधी जी के जीवन के अंतिम पलों से जुड़ी बातचीत और विजुअल्स को वर्ष 2020 में वर्चुअल भारत प्रोजेक्ट के तहत बनी भारत बाला की आठ मिनट 33 सेकेंड की शार्ट फिल्म ‘द एसेसिनेशन आफ महात्मा गांधी’ (Mahatama Gandhi) में दर्शाया गया है। यह फिल्म वर्चुअल भारत परियोजना के तहत रिलीज की गई पांचवीं शार्ट फिल्म थी। निर्देशक ने भारत के इतिहास और संस्कृति के बारे में एक हजार लघु फिल्मों का निर्माण करने की योजना बनाई है। ‘द एसेसिनेशन आफ महात्मा गांधी’ (Mahatama Gandhi) में बापू के साथ छह साल की उम्र से साबरमती आश्रम में रहने वाली सरला मेहता और बापू के आखिरी पर्सनल सेक्रेटरी वी. कल्याणम ने बापू से जुड़ी यादों को साझा किया है।


इसमें सरला बताती हैं, ‘मैंंने बापू को कभी किसी बच्चे को डांटते हुए नहीं देखा था। कैसी भी गलती हो वह कभी डांटते नहीं थे, समझाते थे।’ वहीं कल्याणम कहते हैं, ‘वह (गांधी जी) चाहते थे कि सब लोग शांति से रहें। पूरी दुनिया में शांति रहे।’ इसमें नेहरू का वो संबोधन भी है जिसमें वह राष्ट्रपिता की हत्या की सूचना देते हैं। यह शार्ट फिल्म गांधी जी के मौत के कारणों की पड़ताल नहीं करती, बल्कि सरला और उनके पूर्व सचिव के जरिए हत्या से पहले के पलों को ताजा करती है। फिल्म में वास्तविक विजुअल इसे दर्शनीय बनाते हैं। इसमें बापू की अंतिम यात्रा में उमड़ा अपार जनसमूह भाव-विभोर कर जाता है।

असीम है गांधी जी के विचार

बापू की विचारधारा को मानने वाले दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं। उनमें गांधी जी के अनुयायी भारतीय सुपरस्टार कमल हासन ने ‘हे राम’ फिल्म का निर्माण करने के साथ उसमें अभिनय भी किया था। हाल में खादी से जुड़ी अपनी फैशन साइट केएच हाउस आफ खद्दर की लांचिंग के दौरान गांधी जी की प्रासंगिकता पर उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी फिल्म ‘हे राम’ के जरिए यह बताने की कोशिश की थी कि गांधी जी कैसे इंसान थे। किसी ने मुझसे पूछा था कि आपने ‘हे राम’ के लिए कितनी रिसर्च की तो मैंने कहा मुझे इसकी जरूरत नहीं है। वह मेरे अंदर हैं। आपके दादा या परदादा भले ही अलग विचारधारा रखते हों, लेकिन उन्होंने गांधी जी के बारे में जरूर बताया होगा। मेरा मानना है कि गांधी जी अपने समय से 200 साल आगे थे। अगले 200 साल तक उन्हें कोई पछाड़ नहीं सकता है। उन्होंने कहा था कि अगर तुम दुनिया में बदलाव देखना चाहते हो तो खुद में बदलाव करना होगा। मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि गांधी जी अडिग हैं, उन्हें किसी दायरे में सीमित नहीं किया जा सकता है।’


घिर उठे विरोध के बादल

वहीं शहीद दिवस (Shahid diwas) पर डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज होने वाली शार्ट फिल्म ‘व्हाई आई किल्ड गांधी’ की रिलीज से पहले ही उस पर प्रतिबंध की मांग उठी है। दरअसल, एक दृश्य में गोडसे द्वारा विशेष अदालत में गांधी की हत्या के पीछे का कारण बताने का बयान है। इसमें गोडसे की भूमिका नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सांसद डा. अमोल कोल्हे ने निभाई हैं। पार्टी के अंदर ही कोल्हे के काम करने को लेकर विरोध हो रहा है। बहरहाल, आने वाले समय में गांधी के विचारों से प्रेरित कई फिल्में आने की संभावना है। ये फिल्में उनके विचारों को पहुंचाने का बेहतरीन जरिया हो सकती हैं। महात्मा गांधी का मकसद हमेशा से दुनिया में शांति कायम करने का रहा था। वह संदेश समुचित तरीके से ग्रहण किया जाए तो गांधी जी के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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