सुप्रीम कोर्ट ने भूख से लड़ने के लिए देश के सभी राज्यों में सामुदायिक रसोई स्थापित करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सामुदायिक रसोई योजना तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि भूख और कुपोषण की वजह से पांच साल से कम उम्र के कई बच्चे मर जाते हैं। यह स्थिति भोजन के अधिकार और नागरिकों के जीवन के अधिकार समेत विभिन्न मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
न्यायमूर्ति एन वी रमना और अजय रस्तोगी की पीठ ने केंद्र और विभिन्न मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है। याचिका में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) को भूख, कुपोषण और भुखमरी से होने वाली मौतों को कम करने के लिए एक योजना तैयार करने के लिए दिशानिर्देश देने की मांग की गई थी। शुरुआत में पीठ ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि आखिर इस पूरे मुद्दे से एनएलएसए कैसे जुड़ा है।
पीठ ने याचिकाकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता अनुन धवन, ईशान धवन और कुंजना सिंह की तरफ से पेश एडवोकेट आशिमा मांडला से पूछा कि एनएलएसए को इसमें क्यों शामिल किया जाना चाहिए। पीठ ने शुरुआत में तो इसे नीतिगत मामला बताया और कहा कि सरकार को इस पर निर्णय लेना चाहिए। हालांकि बाद में पीठ ने याचिका पर सहमति जताते हुए केंद्र, विभिन्न मंत्रालयों और एनएलएसए को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा।