डरावनी खबर: डॉलर के मुकाबले रुपये के 80-82 तक गिरने की आशंका, ऐसा हुआ तो क्या होगा? जानिए

रूस द्वारा यूक्रेन (Russia-Ukraine Crisis) पर हमला किए जाने के बाद रुपये के मुकाबले डॉलर की कीमत में काफी इजाफा हुआ. इसका उल्टा कहें तो डॉलर के मुकाबले रुपये (Rupee to Dollar) की कीमत काफी ज्यादा गिरी है. सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपये ने अपना नया निम्नतम स्तर बनाया, जो कि 77.11 था. बाजार विशेषज्ञों की राय है कि रुपया 80 के स्तर को तोड़कर नीचे जा सकता है.

इकोनॉमिक्स टाइम्स ने अलग-अलग 14 ब्रोकरेज हाउसेज, बैंक्स और ट्रेजरी डिपार्टमेंट्स के साथ एक पोल किया है. इसी पोल के नतीजे में सामने आया है कि निवेशक सेफ-हेवन (जहां निवेश सुरक्षित हो) एसेट्स में पैसा लगाएंगे और इनकी मांग में वृद्धि होगी.

इस पोल में भाग लेने वालों ने कहा कि मुद्रा बाजार (currency market) अगले कुछ हफ्तों में काफी उतार-चढ़ाव दिखा सकती है. खासकर तब तक, जब तक कि यूक्रेन युद्ध को राजनयिक निष्कर्ष (diplomatic conclusion) पर नहीं पहुंचाया जाता है.

80-82 का आ सकता है रुपया
सीआर फोरेक्स (CR Forex) के मैनेजिंग डारयरेक्टर अमित पाबरी ने कहा, पिछले एक महीने में जिस तरह से स्थिति बनी है, वह आसानी से शांत नहीं होगी. उन्होंने आगे कहा, “केंद्रीय बैंक हस्तक्षेप कर सकता है, लेकिन बिगड़ते फंडामेंटल व्यापारियों को डॉलर के मुकाबले रुपये पर लंबे समय भरोसा करने नहीं देंगे. FPIs जोखिम वाले EM एसेट्स बेच रहे हैं.”

पोल में शामिल लोगों का मानना है कि इस कैलेंडर वर्ष में रुपया 77.93 तक लुढ़क सकता है. पोल में भाग लेने वाले 2 ने इसी साल रुपये के 80-82 के दायरे तक गिरने की भविष्यवाणी की थी. जेनिथ फिनकॉर्प (Zenith FinCorp) के सीईओ सौरभ गोयनका ने कहा, “हम CY22 में रुपये को 80 डॉलर प्रति अमेरिकी डॉलर तक गिरते हुए देख सकते हैं.”

सौरभ गोयनका ने आगे कहा, “बहुत ज्यादा संभावना है कि फेड की तुलना में RBI अधिक उदार होकर सरकारी राजकोषीय उधार कार्यक्रम (Government Fiscal Borrowing Programme) को सपोर्ट करे. गिरता हुआ रुपया (Falling Rupee) सिस्टम में रुपये की तरलता (Liquidity) बनाता है, जिससे कि विदेशी निवेशकों को लोकल डेट (local debt) की तरफ आकर्षित होते हैं.“

अस्थिरता जल्द खत्म होने की उम्मीद
हालांकि, अनुभवी ट्रेडर्स को उम्मीद है कि यह अस्थिरता (volatility) अपेक्षाकृत जल्द ही खत्म हो जाएगी. आईएफए ग्लोबल (IFA Global) के संस्थापक अभिषेक गोयनका (Abhishek Goenka) ने कहा, “भले ही भू-राजनीतिक जोखिमों (Geopolitical Risks), बढ़ते कच्चे तेल और फंड्स के आउटफ्लो के कारण रुपया छोटी अवधि में गिर रहा है, लेकिन यह जल्दी ही अपने पांच साल के औसत पर वापस आ सकता है, जो लगभग 2.5% है.”

रुपया और गिरेगा तो क्या होगा इसका असर
रुपये की कमजोरी का सीधा मतलब महंगाई से है. इसका असर देश में आयात होने वाले सामानों पर पड़ेगा और कंप्यूटर, इम्पोर्टेड मोबाइल और सोना महंगा होगा. रुपया और गिरेगा और पेट्रोल, डीज़ल के दाम ज्यादा तेजी से बढ़ेंगे. इसके अलावा आरबीआई ब्याज की दरों में इजाफा कर सकता है.

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