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राकेश टिकैत का बड़ा आरोप: जया प्रदा के स्कूल की जमीन पर खेती दिखाकर खरीदा गया गेहूं, हजारों किसानों को बताया फर्जी बटाईदार

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रामपुर में फसल खरीद के मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि रामपुर में इस साल 26 हजार 391 किसानों से 14 लाख 70 हजार 820 क्विंटल फसल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई, जिसमें से 11 हजार किसानों को फर्जी बंटाइदार दिखाया गया है।

इन फर्जी किसानों से कागजों में 1500-1600 रुपये में फसल खरीद गई। उन्होंने आरोप लगाया कि रामपुर में बॉलीवुड की अभिनेत्री और भाजपा नेत्री जयाप्रदा के स्कूल की जमीन को भी खेती में दर्शाकर उसमें से भी फसल की खरीद दिखाई गई है। इसके अलावा जहां पर सड़क, बिल्डिंग और कॉलोनियां हैं, वहां भी खेत-खलिहान दिखाए गए हैं।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बैठे राकेश टिकैत ने बृहस्पतिवार को प्रेस वार्ता में न्यूनतम समर्थन की खरीद पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों में देशभर में केवल आठ प्रतिशत किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिल रहा है। 40 फीसदी फर्जी किसानों से सरकार, सरकारी अधिकारी, नोडल एजेंसी, बिचौलिये मिलकर पैसों का बंटरबाट कर रहे हैं। 

23 फसलों पर एमएसपी घोषित है, मगर दो या तीन फसलों की ही एमएसपी पर खरीद होती है। गेहूं और धान की खरीद में एक संगठित गिरोह कार्य करता है। उप्र में किसानों से गेहूं नहीं खरीदा गया। उन्होंने रबी विपणन 2021-22 की गेहूं खरीद की भी सीबीआई जांच की मांग की। 

राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि रामपुर में करीब 26 हजार किसानों से लगभग 14 लाख क्विंटल फसल की खरीद हुई, लेकिन इनमें से 11 हजार किसान फर्जी हैं। आठ हजार किसानों से खर्च के नाम पर 125-150 रुपये के रेट पर फसल की खरीद हुई। चार हजार किसानों के नाम पर खातेदारों व दूसरे किसानों की नियम विरुद्ध भूमि दर्शाकर करीब छह लाख क्विंटल गेहूं खरीदा।

तीन हजार किसानों से 50-75 रुपये प्रति क्विंटल खरीद पर सुविधा शुल्क लिया गया। उनका आरोप है कि बॉलीवुड की अभिनेत्री जयाप्रदा के स्कूल की जमीन को खेत दर्शाया गया है। स्कूल, सड़क, बिल्डिंग और बसी कॉलोनियों के खसरे नंबर को अभी भी कागजातों में खेत दिखाकर उसमें फसल की खरीद हो रही है। 

राकेश टिकैत ने फर्जीवाड़े का तरीका भी बताया। उन्होंने कहा कि क्रय केंद्र बिचौलियों को दिए जाते हैं। वही फर्जी तरीके से रिश्तेदारों और जानकारों का रजिस्ट्रेशन कराते हैं। फर्जी किसानों की बैंक की पासबुक भी अपने पास रखते हैं। थोक के भाव मोबाइल एजेंसी से नंबर लिए जाते हैं। ओटीपी आने के बाद उसे बंद कर दिया जाता है। 

इतना ही नहीं, फसल खरीद के बाद बिचौलिये उनका सत्यापन तहसील से कराकर खाते से पैसे निकाल लेते हैं। किसानों को पैसों का लालच देकर बैंक मैनेजर से सांठगांठ भी होती है। केंद्रों पर किसानों से एक क्विंटल पर एक किलो गेहूं नमी होने के नाम पर, इधर-उधर गिरने के नाम पर और मेहनत मजदूरी के नाम पर काटा जाता है। टिकैत ने फर्जीवाडे़ के दस्तावेज अपने पास होने का दावा भी किया। 

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