नई दिल्ली- करीब डेढ़ सौ साल की कानूनी लड़ाई के बाद अंजाम तक पहुंचे श्रीराम मंदिर निर्माण पर एक बार फिर अदालती सुनवाई का साया पड़ गया है। कांग्रेस नेता Rahul Gandhi के करीबी एक एनजीओ एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका भेजकर पांच अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग की है। गोखले का कहना है कि जब बकरीद पर सामूहिक नमाज की इजाजत नहीं दी गई तो भूमि पूजन कैसे हो सकता है। गोखले ने कहा कि भूमि पूजन से Corona संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
श्री अयोध्या तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बैठक के बाद तीन या पांच अगस्त की तारीख तय की थी। ट्रस्ट ने भूमि पूजन करने के लिए PM मोदी को न्योता भेजा था, जिसे उन्होंने स्वीकर कर लिया। PM मोदी पांच अगस्त को श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन करने के लिए अयोध्या जा रहे हैं। इस दौरान वो सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक अयोध्या में रहेंगे। मंदिर के भूमि पूजन के लिए दोपहर 12:15 बजे का शुभ मुहूर्त तय किया गया है। इस ऐतिहासिक मौके का साक्षी बनने के लिए महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, RSS प्रमुख मोहन भागवत समेत करीब 300 लोग अयोध्या में मौजूद रहेंगे।
PM के अयोध्या जाने से पहले ही एक बड़ा विवाद शुरू हो गया है। एक NGO चलाने वाले एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी भेजी है। गोखले ने इस चिट्ठी को जनहित याचिका मानने का आग्रह करते हुए कहा कि यह भूमि पूजन केंद्र सरकार की अनलॉक-2 नियमावली का उल्लंघन है। यूपी सरकार केंद्र की नियमावली में छूट नहीं दे सकती। गोखले ने कहा कि बकरीद पर सामूहिक नमाज की भी इजाजत नहीं दी गई। ऐसे में भूमि पूजन की अनुमति कैसे दी जा सकती है। उन्होंने इससे Corona संक्रमण फैलने का अंदेशा भी जताया।
जानिए कौन हैं साकेत गोखले-
साकेत गोखले कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष और सांसद Rahul Gandhi के करीबी हैं। साकेत गोखले की राहुल गांधी के साथ कई तस्वीरें हैं। साकेत गोखले ने Rahul Gandhi के कई ट्वीट्स को रिट्वीट भी किया है। टीवी चैनल के साथ बातचीत में साकेत गोखले ने खुद को BJP विरोधी बताया। हालांकि पहले वो खुद को निष्पक्ष बता रहे थे। साकेत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपशब्दों का प्रयोग भी किया।
साकेत गोखले की ओर से भेजी पत्र याचिका पर अभी तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सुनवाई के लिए मंजूर नहीं किया है। पिटीशन में राम मंदिर ट्रस्ट के साथ ही केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है।
साकेत गोखले से पहले कांग्रेस नेता अक्सर भगवान श्रीराम के अस्तित्व और राम मंदिर पर सवाल उठाते रहे हैं। यूपीए सरकार के दौरान कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि भगवान राम का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है। शशि थरूर ने कहा था कि अच्छे हिंदू राम मंदिर का निर्माण नहीं चाहते। वहीं विवादित बयानों के लिए चर्चित दिग्विजय सिंह ने कहा कि भगवान राम भी नहीं चाहते अयोध्या में मंदिर बने। विवादित नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि दशरथ के महल में 10 हजार कमरे थे। राम किसमें पैदा हुए बताना मुश्किल है।