Bihar Assembly Election 2020

बड़ी खबर: नहीं रहे रघुवंश प्रसाद सिंह, दिल्‍ली के AIIMS में ली अंतिम सांस

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान में मौत हो गई है। वे वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन पर बिहार में शोक की लहर है। उनके निधन पर JDU नेता केसी त्‍यागी ने शोक प्रकट करते हुए इसे राजनीति की पूरणीय क्षति बताया है। इसके पहले उन्‍होंने ICU से ही उन्‍होंने राष्‍ट्रीय जनता दल से इस्‍तीफा देने का अपना पत्र जारी कर बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सियासी हड़कंप मचा दिया था।

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का 74 वर्ष की उम्र में निधन। दिल्ली के एम्स के ICU वार्ड में थे भर्ती। दो दिन पहले उनकी हालत बिगड़ गई थी। संक्रमण बढ़ गया था और सांस लेने में परेशानी होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। Corona पॉजिटिव होने के बाद उनका पटना के एम्स में इलाज किया गया था। कुछ ठीक होने के बाद उन्हें पोस्ट कोविड मर्ज के इलाज के लिए दिल्ली एम्स ले जाया गया था। अभी 3 दिन पहले ही उन्होंने राजद की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था।

विदित हो कि रघुवंश पसाद सिंह बीते दिनों Corona संक्रमित हो गए थे। तब पटना AIIMS में इलाज के दौरान उन्‍होंने RJD के उपाध्‍यक्ष सहित पार्टी के तमाम पदों से इस्‍तीफा दे दिया था। उन्‍हें मनाने की कोशिशें चल ही रहीं थीं कि वे फिर बीमार पड़ गए। इस बार दिल्‍ली AIIMS में इलाज के दौरान उन्‍होंने 10 सितंबर को पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया। रघुवंश के इस्‍तीफे को पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद याद ने स्‍वीकार नहीं किया। वे पार्टी में अपने विरोधी रामा सिंह की एंट्री की कोशिशों से नाराज चल रहे थे।


नीतीश को लिख पत्र में की वैशाली की चिंता

रघुवंश प्रसाद सिंह ने शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम से जारी अपने पत्र में वैशाली की चिंता की है। पत्र में उन्होंने वहां के तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोड़ने का आग्रह किया है। साथ ही विश्व के प्रथम गणतंत्र के सम्मान में महात्मा गांधी सेतु रोड में हाजीपुर के पास भव्य द्वार बनाकर मोटे अक्षरों में विश्व का प्रथम गणतंत्र वैशाली द्वार दर्ज कराने का आग्रह किया है।

उन्होंने राष्ट्रकवि दिनकर की वैशाली से संबंधित कविताओं को जगह-जगह मोटे अक्षरों में लिखवाने का आग्रह भी किया है, ताकि आने-जाने वाले लोग दूर से ही इन्‍हें पढ़ सकें। वहीं उन्होंने ‘बज्जीनां सत अपरीहानियां धम्मा’ के अनुसार सातों धर्मों का उल्लेख जगह-जगह बड़ी दीवार पर पाली, हिंदी और अंग्रेजी में कराने तथा वैशाली के उद्धारक जगदीशचंद्र माथुर की प्रतिमा लगाने के भी आग्रह किए हैं।

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