पावर आफिसर्स एसोसिएशन ने यूपीपीसीएल में 2,268 करोड़ पीएफ घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का स्वागत किया है। एसोसिएशन ने त्वरित कार्रवाई के लिए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को भी बधाई दी है। एसोसिएशन ने 2017 से लेकर अब तक ट्रस्ट में अध्यक्ष से लेकर उच्च प्रबन्धन में शामिल ट्रस्टियों को उनके पदों से तत्काल पद से हटाने की मांग की है। ताकि जांच और सबूत को प्रभावित न किया जा सके। एसोसिएशन सरकार से मांग की है कि इस बात की भी जांच कराई जाए कि वर्ष 2011-12 के बाद किसके दबाव में निजी कम्पनियों में निवेश का फैसला लिया गया।
रविवार को पावर आफिसर्स एसोसिएशन की प्रान्तीय कार्यसमिति ने बैठक की। बैठक में बिजली कर्मचारियों का लगभग 2,631 करोड़ निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी डीएचएफएल में लगाने और वर्तमान में भी लगभग 1,600 करोड़ रूपये फंसे होने पर गम्भीरता से विचार विमर्श किया गया। एसोसिएशन ने कहा कि सरकार के रुख से साफ है कि इस घोटाले में शामिल अन्य आरोपी भी बचने वाले नहीं हैं।
पदाधिकारियों ने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि वर्ष 2011-12 में जब ट्रस्ट ने तय कर लिया था कि सभी बैंक खाते राष्ट्रीयकृत बैंक में ही रखे जायेंगे, फिर वर्ष 2014 में किसके दबाव में निजी कम्पनी में निवेश करने की साजिश की गयी। उ0प्र0 पावर आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष केबी राम, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, उपाध्यक्ष एसपी सिंह, अति महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव अजय कुमार व मध्यांचल अध्यक्ष महेन्द्र सिंह ने पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन पर निशाना साधते हुए उप्र सरकार से यह मांग उठायी कि इस घोटाले से जुड़े रहे सभी अधिकारियों को पद से हटाकर उनकी भूमिका की जांच की जाए।