बिहार मेें हफ्ते भर में शराब पीने से होने वाली मौतों (Bihar Hooch Deaths) को लेकर राजनीति परवान पर है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शराबबंदी की समीक्षा की मांग कर नई बहस की शुरुआत कर दी है तो विपक्ष भी आक्रामक हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता व विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने शराबबंदी लागू करने वाले के मन में ही खोट बताते हुए आरोप लगाया है कि शराब की आय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का जनता दल यूनाइटेड (JDU) बिहार में सबसे धनी राजनीतिक दल बन गया है। उन्होंने कहा कि इससे 20 हजार करोड़ की समानांतर अर्थव्यवस्था (Parallel Economy) खड़ी हो गई है, जिसके सबसे बड़े लाभार्थी जेडीयू और बीजेपी के नेता हैं।
तेजस्वी ने कहा कि पुलिस की निगरानी में शराब की खुलेआम बिक्री होती है। पुन: तस्करों हवाले करने के लिए जब्त शराब और गाड़ी की थानों से ही बोली लगती है, जिसके बड़े हिस्से से प्रशासन और सत्तारूढ़ नेताओं की जेब गर्म होती है।
आरजेडी नेता ने राज्य सरकार से कई सवाल किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन, मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग व पुलिस के शीर्ष अफसरों के तालमेल और हिस्सेदारी के बिना दूसरे प्रदेश से बिहार में शराब पहुंचना संभव नहीं है। इसी मिलीभगत के चलते आज तक किसी वरिष्ठ अफसर या सत्तारूढ़ नेता पर कार्रवाई नहीं हुई। जबकि, लगातार सबूत मिल रहे हैं। नेता पकड़े भी जा रहे। उनके वीडियो भी मिल रहे। फिर भी कोई जेल नहीं जा रहा। वे पैसे देकर छूट जाते हैं। परंतु गरीब व अनुसूचित जाति के तीन लाख से अधिक लोग, जो पुलिस की जेबों को गरम करने के योग्य नहीं थे, का जीवन खराब कर दिया गया। तेजस्वी ने कहा कि जो लोग शराबबंदी कानून में जेलों में बंद हैं, वे सभी गरीब और अति पिछड़े वर्ग के लोग हैं।
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