Shradh Paksha 2020

भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से शुरू हुआ पितृपक्ष,तिथि पता न होने पर जानें कब करें श्राद्ध

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष के रूप में माना जाता है। जिसे हम श्राद्ध पक्ष के भी नाम से जानते हैं। वैदिक धर्म में पितरों को देव स्वरूप बताया गया है। इसमें अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण क्रिया करनी चाहिए।

गुरुवार से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। बताया कि जिस जातक की कुंडली में पितृदोष निहित हो, उसे अपने पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण करके पितृदोष को शांत किया जा सकता है। याद रखें श्राद्ध पाखंड नहीं मानव का मौलिक धर्म है। श्रद्धा के साथ किया गया पितरों के प्रति तर्पण परम सुख का दाता होता है।

इस वर्ष के पितृपक्ष को विशेष मान्यता दी जा रही है। यह पक्ष पूरे 15 दिनों का है। बुधवार को दिन में 9:33 तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। उसके बाद प्रतिपदा का श्राद्ध मनाया जाएगा। पूर्ण रूप से तीन सितंबर से पितृपक्ष प्रारंभ होकर यह पक्ष गुरुवार को ही समाप्त हो रहा है। साथ ही साथ तीन गुरुवार का पड़ना भी अत्यंत शुभ फल कारक माना जा रहा है। अपने पूर्वजों के लिए पंचमी का श्राद्ध श्रद्धालु सात सितंबर को करेंगे। मातृ नवमी का श्राद्ध 11 सितंबर को मनाया जाएगा। चतुर्दशी का श्राद्ध 16 सितंबर को होगा। 17 सितंबर गुरुवार के दिन अमावस्या का श्राद्ध पूर्ण मनोयोग के साथ मनाया जाएगा। इसी के साथ यह श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाएगा।

तिथि ज्ञात न होने पर कब करें श्राद्ध-
यदि घर में सुहागिन माताओं का देहांत हो गया हो और उनकी तिथि का ज्ञान न हो तो इस अवस्था में नवमी तिथि को उनका श्राद्ध कर देना चाहिए। अकाल मृत्यु अथवा अचानक मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वजों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए। घर में यदि पितरों की मृत्यु तिथि का ज्ञान न हो तो उस समय अमावस्या के दिन उन सबका श्राद्ध अवश्य कर देना चाहिए। श्राद्ध के उपरांत ब्राह्मण को भगवान का स्वरूप मानते हुए पूर्वजों की संतुष्टि के लिए भोजन कराना चाहिए तथा दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

कैसे करें श्राद्ध-
महाराज ने बताया कि हो सके तो प्रतिदिन अथवा पितरों की पुण्यतिथि पर श्राद्ध कर्ता को पवित्र भाव से दक्षिणाभिमुख होकर यज्ञोपवीत को अपसब्य करें। दोनों हाथ की अनामिका उंगली में पवित्री धारण करके जल में चावल, जौ, दूध, चंदन, तिल मिलाकर पूर्वजों का विधिवत तर्पण करना चाहिए। इस क्रिया से पूर्वजों को परम शांति मिलती है। तर्पण के बाद पूर्वजों के निमित्त पिंड दान करना चाहिए। पिंडदान के उपरांत गाय, ब्राह्मण, कौआ, चींटी या कुत्ता को भोजन कराना चाहिए। इस क्रिया को हम पंच बलि के नाम से जानते हैं।


पितृपक्ष, श्राद्ध में इन चीजों के परहेज से पितरों का मिलता है आशीर्वाद-
इस साल {2020} पितृ पक्ष का प्रारंभ 1 सितंबर 2020 से शुरू हो गया है। पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक माना जाता है। इस दौरान होने वाले श्राद्ध में किन –किन चीजों का किया जाता है परहेज, आइए जानते है विस्तार से…


इस साल पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से {1 -2 सितंबर 2020} से शुरू हो गया है और आश्विन के कृष्ण अमावस्या {17 सितंबर2020} तक रहेगा। 17 सितंबर 2020 को पितृ विसर्जन यानी सर्वपितृ अमावस्या होगा। हिन्दू रीति रिवाजों में पितृ पक्ष का बड़ा महत्त्व है। इन दिनों लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध करने से पितर तृप्त होते हैं। जब पितर तृप्त होते हैं तो वे अपने जनों को आशीर्वाद देते हैं।


पितृ भोज में क्या बनाएं-
पितृ पक्ष में कुल 16 श्राद्ध होते हैं। इस बार पूर्णिमा श्राद्ध 2 सितंबर को और सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर को है। श्राद्ध के भोजन में खीर-पूड़ी, हलवा शुभ माना जाता है लेकिन पौराणिक मान्यता है कि आपके पूर्वजों को उनके जीवन में उन्हें जो चीज पसंद रही हो उन्हीं चीजों का भोग लगाना चाहिए। इससे पितर खुश होते हैं।


पितृ भोज में क्या न बनाएं-
पितृ पक्ष में श्राद्ध भोज की थाली में चना, मसूर, उड़द, काला जीरा, कचनार, कुलथी, सत्तू, मूली, खीरा, काला उड़द, प्याज, लहसुन, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी, खराब अन्न, फल और मेवे जैसी चीजें श्राद्ध भोज में शामिल नहीं करनी चाहिए। इन चीजों का प्रयोग श्राद्ध में अशुभ माना जाता है। इस से पितरों में नाराजगी होती है। परिवार में अशांति दुःख दरिद्रता का वास होता है।

ये पितृ पक्ष में श्राद्ध दें की तिथियां

पहला श्राद्ध: (पूर्णिमा श्राद्ध): 1 सितंबर 2020
दूसरा श्राद्ध: 2 सितंबर 2020
तीसरा श्राद्ध: 3 सितंबर 2020
चौथा श्राद्ध: 4 सितंबर 2020
पांचवा श्राद्ध: 5 सितंबर 2020
छठा श्राद्ध: 6 सितंबर 2020
सांतवा श्राद्ध: 7 सितंबर 2020
आंठवा श्राद्ध: 8 सितंबर 2020
नवां श्राद्ध: 9 सितंबर 2020
दसवां श्राद्ध: 10 सितंबर 2020
ग्यारहवां श्राद्ध: 11 सितंबर 2020
बारहवां श्राद्ध: 12 सितंबर 2020
तेरहवां श्राद्ध: 13 सितंबर 2020
चौदहवां श्राद्ध: 14 सितंबर 2020
पंद्रहवां श्राद्ध: 15 सितंबर 2020
सौलवां श्राद्ध: 16 सितंबर 2020
सत्रहवां श्राद्ध: 17 सितंबर (सर्वपितृ अमावस्या) 2020


पितृ पक्ष में जानें श्राद्ध की तिथियां-
पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक माना जाता है। श्राद्ध की 16 तिथियां होती हैं। तो आइए जानते हैं श्राद्ध की तिथियों के बारे में…
पितृ पक्ष में पूर्णिमा, प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या की तिथि को श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष पूर्णिमा की तिथि से आरंभ होता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 2 सितंबर तक है। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा की तिथि 2 सितंबर प्रात: 10 बजकर 53 मिनट 42 सेकेंड तक रहेगी। मान्यता के अनुसार श्राद्ध कर्म दोपहर में किया जाना चाहिए।


पितृ पक्ष कब समाप्त हो रहे हैं

पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा। इसके बाद 18 सितंबर से पुरुषोत्तम मास का आरंभ होगा। जो 16 अक्टूबर तक रहेगा। पुरुषोत्तम मास को ही अधिकमास कहा जाता है। इसके मलमास भी कहा जाता है।

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