Maharashtra

Patra Chawl Land Scam: पत्रा चाल घोटाले में क्यों कसा संजय राउत पर ईडी का शिकंजा, जानिए कैसे हुआ करोड़ों का खेल

शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत को नौ घंटे की पूछताछ के बाद रविवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हिरासत में ले लिया। राउत पर यह कार्रवाई 1,034 करोड़ रुपयों के पत्रा चाल घोटाले के सिलसिले में हुई है। हालांकि, राउत का कहना है कि उनका किसी घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही कहा, ‘मैं मर जाऊंगा, लेकिन शिवसेना नहीं छोड़ूंगा।’ दरअसल ED का संजय राउत पर फोकस यूं ही नहीं है। जानें संजय राउत पर क्‍यों कसा संजय राउत पर शिकंजा…

पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन नहीं पहुंचे
मुंबई के चर्चित पत्रा चाल घोटाले से संबंधित मनी लांड्रिंग के मामले में संजय राउत से ED ने एक जुलाई को 9 घंटे पूछताछ की थी। उन्हें उसके बाद भी कई बार पूछताछ के लिए ED कार्यालय पहुंचने का समन दिया गया था, लेकिन वह नहीं पहुंचे। रविवार सुबह 7.30 बजे ED की टीम राउत के दादर एवं भांडुप स्थित आवासों पर पहुंच गई। दोनों घरों की तलाशी के साथ-साथ ED अधिकारियों ने दादर स्थित घर पर संजय राउत से पूछताछ भी शुरू कर दी थी।

आखिरकार हिरासत में राउत
करीब नौ घंटे चली पूछताछ के बाद ED अधिकारियों ने उनसे दक्षिण मुंबई स्थित ईडी कार्यालय चलने को कहा। राउत द्वारा इन्कार करने पर ईडी ने शाम करीब चार बजे उन्हें हिरासत में ले लिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राउत के घर से 11.50 लाख रुपये नकद मिले हैं। राउत ने ईडी को बताया कि इसमें से 10 लाख रुपये पार्टी के हैं, जबकि डेढ़ लाख रुपये उन्होंने घर की मरम्मत के लिए रखे थे।

शिवसैनिकों ने किया प्रदर्शन
राउत को हिरासत में लिए जाने के बाद उनके घर व ED कार्यालय के बाहर और पुणे सहित महाराष्ट्र में और भी कुछ स्थानों पर शिवसैनिकों ने प्रदर्शन किए। राउत भी अपने घर के बाहर जमा शिवसैनिकों की ओर हाथ लहराते हुए ED अधिकारियों के साथ बाहर निकले।

कार्रवाई शुरू होते ही किए चार ट्वीट
रविवार सुबह ED की कार्रवाई शुरू होने के कुछ देर बाद ही संजय राउत ने एक के बाद एक चार ट्वीट कर अपना संदेश शिवसैनिकों तक पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने पहले ट्वीट में लिखा कि मैं बालासाहब ठाकरे की शपथ लेकर कहता हूं कि मेरा किसी घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने हमें लड़ना सिखाया है। हम शिवसेना के लिए लड़ते रहेंगे। इसके बाद उन्होंने लिखा कि खोटी कार्रवाई, खोटे सुबूत। मैं मर जाऊंगा, लेकिन शिवसेना नहीं छोड़ूंगा।

क्‍या संदेश देना चाहते हैं राउत
ऐसा लिखकर राउत ने यह संदेश देने की कोशिश की कि शिवसेना के उद्धव गुट को छोड़कर एकनाथ शिंदे गुट में जाने वाले ईडी से डरकर ऐसा कर रहे हैं। राउत ने अपने एक और ट्वीट में लिखा कि महाराष्ट्र एवं शिवसेना लड़ती रहेगी।

उद्धव बोले, रची जा रही पार्टी को खत्म करने की साजिश
राउत पर ईडी की कार्रवाई शुरू होने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि ईडी के मेहमान संजय राउत के घर पहुंच चुके हैं। वह गिरफ्तार किए जा सकते हैं। ये क्या साजिश है? शिवसेना हिंदुओं और मराठी लोगों को ताकत देने का काम कर रही है और दूसरी ओर पार्टी को खत्म करने की साजिश रची जा रही है।

क्या है पत्रा चाल घोटाला
मुंबई के गोरेगांव उपनगर में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथारिटी (म्हाडा) की 47 एकड़ जमीन पर टीन के पतरे वाली चाल (खोलियां) बनाकर 500 से ज्यादा परिवार रहते थे। 2007 में इसी भूखंड पर फ्लैट बनाकर वहां पहले से रह रहे परिवारों को देने और बाकी फ्लैट म्हाडा व इसे विकसित करने वाली कंपनी को हस्तांतरित करने की योजना बनाई गई थी।

भूखंड बेचने का अधिकार नहीं था फ‍िर भी बेचा क्‍यों
भूखंड पर फ्लैट बनाने का काम गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया। इस कंपनी के साथ हुए समझौते के अनुसार भूखंड पर कुल 3,000 फ्लैट बनाए जाने थे। इनमें से 672 फ्लैट वहां पहले से चालों में रह रहे परिवारों को दिए जाने थे। निर्माण कंपनी को यह भूखंड बेचने का अधिकार नहीं था। आरोप है कि इस जमीन को समझौते का उल्लंघन करते हुए 1,034 करोड़ रुपये में नौ अलग-अलग भवन निर्माताओं को बेच दिया गया और एक भी फ्लैट नहीं बनाया गया।

संजय राउत की पत्नी के खाते में भेजी गई रकम
भूखंड बिकने से मिले पैसों में से कुछ राशि कंपनी के निदेशकों ने अपने करीबियों को हस्तांतरित कर दी। इसी दौरान गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी के एक निदेशक प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी राउत के खाते से 55 लाख रुपये संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के खाते में ट्रांसफर किए गए। 2020 में महाराष्ट्र में हुए पीएमसी बैंक घोटाले के दौरान यह पता चला। उसके बाद से ही ईडी प्रवीण राउत और माधुरी राउत के अलावा संजय राउत व उनकी पत्नी वर्षा से पूछताछ करती आ रही है। अप्रैल में एजेंसी ने वर्षा और उनके दो सहयोगियों से जुड़ी करीब 11.15 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कुर्क किया था।

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