कारगिल में पाक्सितान के छक्के छुड़ाने वाले जाबाज और बहादुर विमान मिग-27 को शुक्रवार को अंतिम उड़ान के बाद भारतीय वायुसेना से विदाई दी गई। जोधपुर ऐयरबेस पर आज सुबह एक समारोह में लड़ाकू विमान मिग-27 की एक मात्र स्क्वाडर्न स्कॉर्पियो के सभी फाइटर जेट एक साथ आखिरी उड़ान भरी। उड़ान ग्रुप कैप्टन राव के नेतृत्व में हुई, जिसमें 7 मिग-27 विमान अंतिम फ्लाईपास्ट किया।
आखिरी उड़ान भरने के बाद ये सभी विमान फेज आउट हो जाएंगे। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना ही नहीं दुनियाभर में मिग-27 विमान एक इतिहास बन जाएगा। रक्षा प्रवक्ता सोमवित घोष ने बताया कि मिग 27 की दुनियाभर की आखिरी स्क्वाडर्न जोधपुर में कार्यरत थी। इससे पूर्व हासीमारा एयरवेज पश्चिम बंगाल से मिग-27 के 2 स्क्वाड्रन रिटायर हो चुके हैं. आखिर में सिर्फ 7 मिग-27 बचे थे।
मिग-27 ने 1999 की कारगिल जंग के दौरान अहम भूमिका निभाई थी और उसके पराक्रम की वजह से भारतीय वायुसेना में मिग-27 पराक्रम नाम से पहचाना जाता था। इसका भारतीय वायुसेना में गौरवशाली इतिहास रहा है और सोवियत रूस से मिग श्रेणी के विमान खरीद हो रही थी। तब 1981 में पहली बार इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। यह उस दौर का सबसे बेहतरीन फाइटर जेट था। पिछले 38 साल से अधिक समय से सेवा में रहे फाइटर जेट को हवा से जमीन पर हमला करने का बेहतरीन विमान माना जाता रहा है।