देश की राजधानी दिल्ली में लगभग सात साल पहले हुई निर्भया गैंगरेप घटना पर चारों दोषियों को शुक्रवार सुबह ठीक 5:30 बजे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। यह फांसी दिल्ली के तिहाड़ जेल में दी गई। इनके बाद चारों शवों को DDU हास्पिटल ले जाया गया। जहां डाक्टरों की एक टीम पोस्टमार्टम करेंगी।
दिल्ली की एक अदालत ने सभी 4 दोषियों का 20 मार्च के लिए डेथ वॉरंट जारी किया था। 16 दिसंबर 2012 में राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप कांड के आज 7 साल 3 माह बाद तिहाड़ जेल में निर्भया को इंसाफ मिला। निर्भया की मां आशा देवी ने लंबे समय तक इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी, आज जब दोषियों को फांसी दी गई तो उन्होंने ऐलान किया कि 20 मार्च को वह निर्भया दिवस के रूप में मनाएंगी। आशा देवी का कहना है कि वह अब देश की दूसरी बेटियों के लिए लड़ाई लड़ेंगी।
मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी के फंदे पर लटकाया गया। जेल प्रशासन सूत्रों के अनुसार चारों दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया और इसके लिए जेल नंबर-3 की फांसी कोठी में दो तख्तों पर चारों को लटकाने के लिए चार हैंगर बनाए गए थे। इनमें से एक का लीवर मेरठ से आए जल्लाद पवन ने खींचा तथा दूसरे लीवर को जेल स्टाफ ने खींचा। जेल अधिकारियों ने बताया कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे जो जेल नियमावली के अनुसार फांसी के बाद की अनिवार्य प्रक्रिया है। दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर तिहाड़ जेल में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी गई।