निर्भया मामला:अलग-अलग फांसी देने के मामले में 5 March तक SC में टली सुनवाई

निर्भया के चारों गुनहगारों को अलग-अलग फांसी देने की मांग वाली केंद्र सरकार की याचिका को SC ने 5 March तक के लिए टाल दिया है। साल 2012 के दिल्ली गैंग रेप मामले में जस्टिस आर भानुमति के नेतृत्व में तीन जजों की बेंच को इस याचिका पर सुनवाई करना है। जिसमें दोषियों को अलग अलग फांसी के निर्देश देने की बात कही गई है। निर्भया के चारों दोषियों के लिए दिल्ली की अदालत पहले ही नया डेथ वारंट जारी कर चुकी है, जिसके मुताबिक इन्हें 3 March को फांसी होनी है।

कोर्ट ने एक फिर जारी किया नया डेथ वारंट

दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने निर्भया गैंगरेप एवं हत्याकांड के चार दोषियों को 3 March सुबह 6 बजे फांसी देने के लिए नया डेथ वारंट जारी किया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने चारों दोषियों-मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार को फांसी देने के लिए यह डेथ वारंट जारी किया है।

यह तीसरी बार है कि इन चारों के लिए डेथ वारंट जारी किए गए हैं। सबसे पहले फांसी देने की तारीख 22 जनवरी तय की गई थी, लेकिन 17 जनवरी को अदालत के आदेश के बाद इसे टालकर 1 फरवरी सुबह 6 बजे किया गया था। फिर 31 जनवरी को निचली अदालत ने अगले आदेश तक चारों दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी, क्योंकि उनके सारे कानूनी विकल्प खत्म नहीं हुए थे।

कोर्ट ने इससे पहले दो बार डेथ वारंट जारी कर चुकी है। 22 जनवरी को जारी डेथ वारंट पर अभियुक्तों ने कानूनी विकल्पों का हवाला दिया, जिसके बाद दूसरी बार 1 फरवरी के लिए डेथ वारंट जारी किया गया था।

22 जनवरी 2020 की फांसी की तारीख इन आधार पर टली

17 जनवरी 2020 को अभियुक्त मुकेश के अलावा विनय, पवन व अक्षय के पास सुधारात्मक व दया याचिका का विकल्प होने का हवाला दिया गया। अदालत को बताया गया कि इन्होंने अभी अपने विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया है। जबकि अभियुक्त मुकेश की सुधारात्मक याचिका उच्चतम न्यायालय व दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोंविद द्वारा खारिज कर दी गई है। इसके बाद अदालत ने तीनों अभियुक्तों को कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल का समय देते हुए नई तारीख तय की।

1 फरवरी 2020 के लिए जारी दूसरा डेथ वारंट भी टला

वहीं 30 जनवरी 2020 को अदालत में एक बार फिर अभियुक्तों के कानूनी अधिकारों का हवाला देते हुए 1 फरवरी को होने वाले डेथ वारंट को टालने की गुहार लगाई गई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता AP सिंह ने अदालत को अभियुक्तों के विकल्प का ब्योरा देते हुए कहा कि विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है, वहीं अक्षय व पवन के पास भी कई कानूनी विकल्प बाकी हैं। अदालत ने 31 जनवरी को अभियुक्तों के विकल्पों के आधार पर सजा पर रोक लगा दी।

जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक हफ्ते का समय दिया था। जिसके बाद 7 फरवरी 2020 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने तिहाड़ जेल की अभियुक्तों को अलग-अलग फांसी की याचिका को नामंजूर कर दिया था। हालांकि साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने चारों अभियुक्तों को अपने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल के लिए एक हफ्ते का समय दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि अभियुक्त एक हफ्ते में अपने सभी कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करें।

जानिए पूरा मामला

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के वसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में बहुत बुरी तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

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