जहां एक ओर भारत और चीन के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। हालात कई दौर के बीतचीत के बाद भी नहीं सुधर रहे हैं, और LAC पर स्थिती युद्ध जैसी हो गई है। ऐसे में जरूरी है कि भारत जल, थल और वायु तीनों मोर्चों पर चीन से लोहा लेने के लिए तैयार रहे। इस संकट की घड़ी में भारतीय नौसेना में मारीच शामिल हो गया है। जिससे हमारी नौसेना और मजबूत हो गई है। बता दें बीते शुक्रवार को स्वदेश निर्मित उन्नत टॉर्पीडो विध्वंसक प्रणाली ‘मारीच’ को नौसेना ने अपने बेड़े में शामिल कर लिया है जो अग्रिम मोर्चे के सभी युद्धपोतों से दागी जा सकती है। इसकी खास बात ये है कि ये प्रणाली किसी भी टॉर्पीडो हमले को विफल करने में नौसेना की मदद करेगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने ‘मारीच’ को बनाया है। ये प्रणाली हमलावर टॉर्पीडो का पता लगाने, उसे भ्रमित करने और नष्ट करने में सक्षम है।
आपको बता दें भारतीय नौसेना ने इस बाबत एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि, ‘निर्दिष्ट नौसैन्य मंच पर लगे इस प्रणाली के प्रतिरूप ने सभी प्रायोगिक मूल्यांकन परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए थे और नौसैन्य स्टाफ मानदंड आवश्यकताओं के अनुरूप सभी विशेषता प्रदर्शनों पर यह खरी उतरी थी।’ इसके साथ ही ये भी कहा कि ‘मारीच’ को शामिल किया जाना स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास की दिशा में न सिर्फ नौसेना और डीआरडीओ के संयुक्त संकल्प का साक्ष्य है, बल्कि ये सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनने के देश के संकल्प की दिशा में एक बड़ा कदम है। इतना ही नहीं नौसेना की ओर से आगे कहा गया कि भारतीय नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता में बड़ी मजबूती हासिल हुई है।