नासा के वैज्ञिनिकों को मिली है बड़ी सफलता। उन्होंने मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन गैस की खोज कर ली है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा मंगल ग्रह पर क्यूरियोसिटी रोवर भेजा गया था जिसने मंगल पर ऑक्सीजन गैस की खोज कर ली है। आपको बता दें कि क्यूरियोसिटी रोवर अभी गेल क्रेटर में चक्कर लगा रहा है जिसे 26 नवंबर 2011 को लॉन्च किया गया था जिसके बाद ये 6 अगस्त साल 2012 में मंगल ग्रह पर लैंड किया था। और अबतक ये मंगल पर करीब 20 किमी की यात्रा कर चुका है। और अभी गेल क्रेटर में शोध कर रहा है। क्यूरियोसिटी रोवर 10 फीट लंबा, 9 फीट चौड़ा और 7 फीट ऊंचा है। क्यूरियोसिटी रोवर की अपनी एक लैब है जिसने गैसों का जायजा किया। अबतक मिट्टी के 70 से ज्यादा सैंपल का भी अध्ययन कर चुका है। गौरतलब है कि क्यूरियोसिटी रोवर के सैम केमिस्ट्री लैब ने गेल क्रेटर में पाया कि वहां पर मौजूदा गैसों में 95 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड, 2.6 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1.9 प्रतिशत आर्गन, 0.16 प्रतिशत ऑक्सीजन और 0.06 प्रतिशत कार्बन मोनोऑक्साइड गैस है। क्यूरियोसिटी रोवर ने 2012 से लेकर 2017 तक के शोध में ये पाया है कि वहां बदलते मौसम के अनुसार गैसों की मात्रा में भी बदलाव होता है। पृथ्वी के अनुसार मंगल पर वसंत और गर्मी के मौसम में ज्यादा ऑक्सीजन की मात्रा होती है जबकि ठंड के मौसम में ऑक्सीजन कम होता है। आपको बता दें कि क्यूरियोसिटी मिशन से भारतीय मूल के वैज्ञानिक, मिशिगन यूनिवर्सटी के क्लाइमेट और स्पेस साइंस के प्रोफेसर सुशील अत्रेय भी जुड़े हैं जिन्होंने बताया कि “नासा के वैज्ञानिक ये पता लगाने की कोशिश में लगे हैं कि मंगल ग्रह पर हमेशा ऑक्सीजन रहेगा या नहीं। आखिरकार मंगल ग्रह के गेल क्रेटर में ऑक्सीजन की मात्रा में इतना बदलाव क्यों हो रहा है इसका कारण क्या है? वहां पर मीथेन और ऑक्सीजन में लगातार केमिकल रिएक्शन होता है। जो एक शुरुआती परिणाम है। जिस पर हमें और शोध करने की जरूरत है।”
Related Posts
वो पांच संकेत जो बता रहे हैं भारत की अर्थव्यवस्था की दशा
By
Editor desk
/ August 21, 2019
भारत ने दिया मुहतोड़ जवाब : पाकिस्तान की चौकियां तबाह, कई सैनिक मारे गए
By
Editor desk
/ August 21, 2019
क्या है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और क्या होगीं पावर
By
Beena Rai
/ August 21, 2019
राहत सामग्री बांटकर वापस लौट रहा हेलीकॉप्टर क्रैश, तीन की मौत
By
NVR24 DESK
/ August 21, 2019
