एक मां की जीवट व संघर्ष की कहानी, कैंसर को मात देकर बेटी को बनाया स्‍टार

अक्सर विजेता खिलाडिय़ों की उपलब्ध्यिों का श्रेय पिता या कोच का दिया जाता है, लेकिन विनेश के बारे में ऐसा कहना नाइंसाफी होगी। विनेश की सफलता के पीछे भी उनकी मां प्रेमलता की भूमिका सबसे अहम हैं। प्रेमलता ने पति की असमय मौत और खुद को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के बावजूद विनेश को इस मुकाम तक पहुंचाया है।

चरखी दादरी जिले के गांव बलाली निवासी को प्रेमलता को 2003 में शारीरिक तकलीफ हुई। चिकित्सकीय जांच में पता चला कि उनकी बच्चेदानी में कैंसर है। इससे प्रेमलता और उनके परिजन काफी चिंतित हुए लेकिन यह तो दुखों की शुरुआत थी। कैंसर का पता चलने के तीन दिन के भीतर ही रोडवेज विभाग में चालक प्रेमलता के पति राजपाल फौगाट की मौत हो गई। यह उनके परिवार के लिए पूरी तरह तोड़ देनेवाले वाले हालात थे। कैंसर और पति की मौत ने प्रेमलता को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया। उस समय उनकी उम्र महज 33 साल थी।

परिवार की नाव मझधार में थी। ऐसे में प्रेमलता का जज्‍बा जागा और उन्होंने अपने तीनों बच्चों का भविष्य संवारने के लिए कैंसर से जंग लड़ने की ठानी। पति की मौत के एक महीने बाद ही राजस्थान के जोधपुर में ऑपरेशन कराकर उन्होंने बच्चेदानी को निकलवा दिया। प्रेमलता बताती है कि पति की मौत के समय उनका पुत्र हरविंद्र दसवीं, बेटी प्रियंका सातवीं और सबसे छोटी बेटी विनेश चौथी कक्षा में पढ़ती थी। कैंसर के ऑपरेशन के समय चिकित्सकों ने मुझे बताया कि वह महज चार-पांच वर्ष और जीने सकती हैं, लेकिन मैंने बच्चों को पाले बगैर नहीं मरने की ठान ली थी।कुछ कर गुजरने का जज्‍बा हो तो बड़ी से बड़ी बाधाएं भी राह छोड़ देती हैं। अंतरराष्‍ट्रीय पहलवान विनेश फोगाट आज दुनिया की स्‍टार पहलवान हैं, लेकिन इसके पीछे है उनकी मां का अद्भूत योगदान। प्रेमलता फोगाट की कहानी जीवटता और संघर्ष की मिसाल है। उन्‍होंने कैंसर को मात देकर बेटी विनेश को अनोखे मुकाम तक पहुंचाया। प्रेमलता का नाम उन बहादुर महिलाओं में हैं जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

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