मिड-डे मील में घपलेवाजी रोकने के लिए अहम कदम, अब होगा सोशल ऑडिट

मिड-डे मील योजना की निगरानी की जो व्यवस्था है उसमें स्कूल के प्रधानाध्यापक को फोन कॉल पर सिर्फ बच्चों की संख्या दर्ज करानी होती है जिन्हें खाना खिलाया गया। प्रधानाध्यापक यह संख्या कहीं से भी दर्ज करा सकता है। बेसिक शिक्षा विभाग ने जो प्रेरणा मोबाइल एप विकसित किया है, उसमें प्रधानाध्यापकों को मिड डे मील परोसे जाने की फोटो भेजनी होगी। फोटो के आधार पर बच्चों की संख्या का पता लगाने के लिए हेड काउंट किया जा सकेगा।

परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को दोपहर में स्कूल में परोसे जाने वाले मिड-डे मील में घपला अब नहीं चलेगा। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से अगले महीने प्रेरणा पोर्टल को लांच किये जाने पर स्कूलों को बच्चों को मिड-डे मील परोसने की फोटो भेजनी होगी। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण अब मिड-डे मील का सोशल ऑडिट भी कराएगा।

इसके लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने ग्रामीण विकास निदेशालय को प्रस्ताव भेजा था। इस सिलसिले में जल्द ही प्राधिकरण और निदेशालय के आला अधिकारियों की बैठक होनी है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि शुरुआत में हर जिले के 20 गांवों के स्कूलों में मिड-डे मील का सोशल ऑडिट कराने की योजना है। बाद में इसे विस्तार दिया जाएगा।

जिस स्कूल में मिड-डे मील योजना के संचालन की पड़ताल करनी होगी, सोशल ऑडिट करने वाली संस्था के लोग उस गांव में जाकर योजना से जुड़े सभी पक्षकारों से बातचीत करेंगे और हकीकत जानेंगे। वे संबंधित सकूल की विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों से भी बातचीत करेंगे। ग्रामीणों से मिली जानकारी के आधार पर स्कूल में मिड-डे मील योजना के संचालन से सीधे तौर पर जुड़े लोगों से पूछताछ की जाएगी।

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