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Bihar Politics: ‘मंडल दिवस’, पर आरजेडी का शक्ति प्रदर्शन

बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। CM Nitish Kumar ने इसको लेकर जहां Prime Minister Narendra Modi को पत्र लिखकर कहा है कि उनको PM Modi के बुलावे का इंतजार है। वहीं, राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल अब जातीय जनगणना कराए जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है। Tejashwi Yadav के नेतृत्व में राजद जातीय जनगणना कराए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर 7 अगस्त को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी। सवाल यह है कि अब जब CM Nitish Kumar ने यह कह दिया है कि बिहार का एक डेलिगेशन PM Modi से इस सिलसिले में मुलाकात करने वाला है तो तेजस्वी यादव विरोध प्रदर्शन से क्या संदेश देना चाहते हैं?

दरअसल, तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 7 अगस्त 1990 को संसद में मंडल की सिफारिशें लागू करने की घोषणा की थी। इसके तहत पूरे देश में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला हुआ था। उस दौर में Lalu Prasad Yadav, Mulayam Singh Yadav जैसे नेताओं ने मंडल राजनीति के आधार पर अपने पक्ष में हवा बनाई थी और सत्ता-सियाकत पर पकड़ बनाकर अपनी ताकत दिखाई थी। राजनीतिक जानकारों की मानें तो एक बार फिर इसी वोट बैंक को फिर से भुनाने के लिए एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन शुरू हो रहा है।

बिहार के सभी जिला मुख्यालयों पर राजद का प्रदर्शन
बताया जा रहा है कि राजद 7 अगस्त यानी आज बिहार के सभी जिला मुख्यालयों पर RJD के कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन करेंगे। इसमें जातीय जनगणना कराने, आरक्षित कोटे से बैकलॉग के लाखों रिक्त पद भरने और मंडल आयोग की शेष रिपोर्ट लागू करने की मांग होगी। राजद के महासचिव आलोक कुमार मेहता के अनुसार जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने के बाद जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसकी सूचना सभी सांसदों, विधायकों, सभी जिलाध्यक्षों और पार्टी के अन्य अधिकारियों को भेज दी गई है।

सीएम नीतीश ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
बता दें कि राज्य में जातीय जनगणना के मामले को लेकर राज्य में सत्तारूढ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल जनता दल युनाइटेड भी राजद के साथ है। जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली में हुई बैठक में इस संबंध का प्रस्ताव पास किया गया है। CM नीतीश कुमार भी जातीय जनगणना को लेकर पहले ही कह चुके हैं कि जातीय जनगणना आवश्यक है। CM Nitish Kumar ने इसको लेकर प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है और कहा है कि पीएम मोदी के बुलावे का इंतजार है।

मंडल कमीशन ने जाति आधारित गिनती पर कही थी यह बात
बता दें कि CM नीतीश कई बार कह चुके हैं कि जाति के आधार पर जनगणना एक बार तो की ही जानी चाहिए, इससे सरकार को दलितों के अलावा अन्य गरीबों की पहचान करने और उनके कल्याण के लिए योजनाएं बनाने में सुविधा होगी। गौरतलब है कि मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट के शुरू में ही कहा था कि जातियों के आंकड़े न होने की वजह से उसे काम करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, इसलिए अगली जनगणना में जातियों के आंकड़े भी जुटाए जाएं।

जातीय जनगणना पर लालू यादव और नीतीश कुमार साथ-साथ
लालू प्रसाद ने भी कहा है कि छह लाख परिवार इस देश में भीग मांग रहा है। उनसे पूछिए वे किस जाति के हैं। लालू कहते हैं कि जातीय जनगणना का विरोध करने वाले लोगों को कोई अक्ल नहीं है। बैक बेंचर के लिए अलग से बजट बनाइए। CM नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से इस मामले पर पुनर्विचार करने का भी अनुरोध किया है। बिहार राजग में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा भी जातीय जनगणना कराने की जदयू की मांग का समर्थन कर चुकी है।

केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना से कर दिया है इनकार
राजनीतिक जानकारों की मानें तो Lalu Prasad Yadav के फिर से सक्रिय होने के साथ ही राजद एक बार फिर अपनी पुरानी राजनीति पर लौटता दिख रहा है। 7 अगस्त को मंडल दिवस के अवसर पर RJD ने अब मंडल की राजनीति को धार दने की तैयारी कर ली है। इसकी वजह यह भी मानी जा रही है हाल में ही BJP नेता व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने स्पष्ट रूप से संसद में कहा था कि केंद्र सरकार जातीय जनगणना नहीं करवाएगी।

सियासत के अंदरखाने की यह है कहानी
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि चूंकी लालू प्रसाद यादव की राजनीति BJP विरोध की रही है इसलिए RJD इस मुद्दे पर भाजपा को चौतरफा घेरना चाहती है। इसके साथ ही लालू यादव CM Nitish Kumar की राजनीति को भी कुंद करना चाहते हैं। इसका कारण यह माना जा रहा है कि बिहार में पिछड़े वर्ग से यादव छोड़ अन्य मुख्य जातियों का समर्थन CM Nitish Kumar के साथ है। ऐसे में इसका अप्रत्यक्ष लाभ BJP को भी मिलता रहा है.

मंडल राजनीति और भाजपा विरोध की पॉलिटिक्स
राजनीतिक जानकारों की मानें तो PM Modi और गृह मंत्री अमित शाह भी पिछड़े वर्ग से आते हैं। माना जा रहा है कि हाल के दिनों में पिछड़ों का वोट BJP की ओर बड़े पैमाने पर शिफ्ट हुआ है। ऐसे में लालू-नीतीश जैसे नेताओं के जनाधार को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में अब एक बार फिर मंडल राजनीति के आधार पर BJP विरोध की सुगबुगाहट है।

राजद नेता के बयान से समझें सियासत की हकीकत
यह बात बिहार के RJD के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के इस बयान से भी स्पष्ट हो जाती है कि RSS की सवर्णवादी सोच की वजह से भाजपा जातीय जनगणना नहीं कराना चाहती है। बता दें कि वर्ष 2015 में इसी राजनीति के कारण लालू-नीतीश एक साथ आए थे और मोदी लहर के बावजूद BJP को लालू-नीतीश ने मिलकर पिछड़ा विरोधी करार दे दिया था। अब जब केंद्र की मोदी सरकार ने मेडिकल कोटे में पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान कर दिया है तो आरजेडी-जेडीयू जैसी पार्टियों को फिर से खतरा महसूस होने लगा है। ऐसे में Lalu Prasad Yadav ने अब मंडल की राजनीति को धार दने की तैयारी कर ली है।

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