TMC TO START CAMPAIGN FROM VARANASI

कांग्रेस को खत्म करने की तैयारी में ममता बनर्जी! क्या बना पाएंगी देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी?

इस साल पश्चिम बंगाल में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) के हौसले सातवें आसमान पर हैं. ऐसा लग रहा है कि ममता ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी ताकत झौंक दी है. और खास बात ये है कि इस बार उनके निशाने पर कांग्रेस है. वो पार्टी जो कभी ममता को अपना सहयोगी मानती थी. लेकिन TMC अब पूर्व से लेकर पश्चिम और फिर उत्तर भारत हर जगह कांग्रेस को तोड़ने में लगी है. कांग्रेस के नेता धड़ाधड़ अपना ‘हाथ’ छोड़ टीएमसी का दामन थाम रहे हैं.

कांग्रेस और टीएमसी के बीच दूरियां लगातार बढ़ रही है. इसका ताजा उधारण ममता का दिल्ली दौरा है. उन्होंने इस बार सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं की. जबकि पिछली बार जब वो दिल्ली आई थीं तो उन्होंने सोनिया और राहुल गांधी, दोनों से मुलाकात की थी. इतना ही नहीं ममता ने इस बार ये भी कहा कि वो सोनिया से मिलने को लेकर संवैधानिक रूप से बाध्य नहीं हैं. ममता के इस बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.

ममता बनर्जी खुद को विपक्ष का चेहरा बताने में लगी है. जबकि इससे पहले कांग्रेस दूसरे दलों को बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ मंच पर लाते थे. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. इस महीने की शुरुआत में, ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर बीजेपी के साथ सांठगांठ का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सिर्फ चुनाव नजदीक आने पर ही बीजेपी पर हमलावर होती है.

इस साल बंगाल में विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और ममता बनर्जी के बीच लगातार ज़ुबानी हमले हो रहे हैं. हाल ही उन्होंने टीएमसी को बीजेपी की बी टीम कहा था. राष्ट्रीय स्तर पर टीएमसी के विस्तार के मुद्दे पर अधीर रंजन ने कहा था कि टीएमसी सिर्फ 4% वोट हासिल की थी वो भी बंगाल में, बंगाल मतलब हिंदुस्तान नहीं हिंदुस्तान मतलब बंगाल नहीं टीएमसी ये गलतफमी दूर कर ले.

कांग्रेस को ताज़ा झटका मेघालय में लगा है. कांग्रेस के 17 में से 12 विधायक पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के नेतृत्व में बृहस्पतिवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे. कहा जा रहा है कि विधानसभा में विपक्ष के नेता संगमा कथित तौर पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से नाखुश चल रहे थे. नए विधायकों के साथ आने से तृणमूल कांग्रेस राज्य में प्रमुख विपक्षी दल बन जाएगी.

सितंबर में, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद टीएमसी में शामिल हो गए. इससे एक महीने पहले असम के सिलचर से कांग्रेस सांसद और अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सुष्मिता देव टीएमसी में शामिल हुई थीं. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी में शामिल होने के बाद दोनों को राज्यसभा की सीटें दी गई.

कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर भी हाल ही में टीएमसी में शामिल हुए हैं. तंवर कभी राहुल गांधी के करीबी थे. बनर्जी ने कहा है कि टीएमसी के लिए विस्तार की योजना पर काम चल रहा है.

ममता ने कहा है कि वो जल्द ही पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी की यात्रा की योजना बना रही हैं. बनर्जी ने कहा, ‘मैं वाराणसी जाऊंगा क्योंकि कमलापति त्रिपाठी का परिवार अब हमारे साथ है. राजेशपति त्रिपाठी और ललितेशपति त्रिपाठी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के पोते और परपोते हैं. अक्टूबर में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे.

उत्तर प्रदेश चुनावों पर, बनर्जी ने कहा कि वो समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की मदद करने के लिए तैयार हैं, अगर उन्हें टीएमसी की मदद की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘अगर तृणमूल यूपी में बीजेपी को हराने में मदद कर सकती है, तो हम जाएंगे.. अगर अखिलेश हमारी मदद चाहते हैं, तो हम मदद करेंगे.’

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