21 फरवरी 2020 को Mahashivaratri का त्योहार है। सभी देवताओं में भगवन शिव को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। उन्हें भोले नाथ की उपाधि दी गई है। लेकिन जब उनका तीसरा नेत्र खुलता है तो प्रलय आती है। भगवन शिव का निवास कैलाश पर्वत है। इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करता है और व्रत रखता है उस पर भगवान शिव की सदैव कृपा बनी रहती है और उसके संकट दूर होते हैं।
Mahashivaratri के दिन भगवान शिव की पूजा पूरे दिन की जाती है। प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद रात और दिन के बीच का समय पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। इस समय की गई पूजा से भगवान शिव अधिक प्रसन्न होते हैं। विशेष पूजा के अंर्तगत रात्रि के चारों प्रहर में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं जिन लोगों के जीवन में कोई संकट और रोग है तो इस पूजा से विशेष लाभ मिलता है।
इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखते हैं उन्हें भगवान शिव के मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करना चाहिए। फलाहार ग्रहण करना चाहिए। सुबह भगवान शिव का अभिषेक और बेल पत्री चढानी चाहिए। शाम को स्नान करने के बाद पूजन करना चाहिए। घर पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके त्रिपुंड एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प लेकर पूजन शुरू करना चाहिए।
फल, फूल, चंदन, बैल पत्र, धतूरा, धूप व दीप से रात के चारों प्रहर में भगवान शिवजी की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से निर्मित पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें।