शिवसेना में टूट होने और महाराष्ट्र में सरकार आराम से चलते रहने के बीच रविवार को अजित पवार की बगावत ने सभी को चैंका दिया है. उन्होंने अपने चाचा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ‘एनसीपी’ के संरक्षक शरद पवार के खिलाफ दूसरी बार विद्रोह कर दिया. इस पर सवाल उठ रहे हैं और शायद इसका जवाब यही लग रहा है कि अजित पवार की अधूरी राजनीतिक आकांक्षाएं एनसीपी में धीरे-धीरे खत्म हो रही थीं. लेकिन जवाब भविष्य की राजनीति से भी जुड़ा है. अजित पवार की शरद पवार के खिलाफ बगावत का सीधा मतलब 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहायता करना है.
2024 लोकसभा चुनाव के अंकगणित पर नजर दौड़ाएं तो महाराष्ट्र में 48 सांसद हैं, जिनमें से भाजपा के 22 सांसद हैं, जो सबसे अधिक हैं. इसके बाद शिवसेना के 18 और राकांपा के 4 सांसद हैं. लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, दो सीटें खाली रह गई हैं. भाजपा 2019 के अपने प्रदर्शन को बेहतर करते हुए अपने दम पर 350 का आंकड़ा छूना चाहती है. इसलिए उसे न केवल 2019 के लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत है, बल्कि अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की भी दरकार है.
शिवसेना के 18 सांसदों के विभाजन के बाद अब एनसीपी पर वार
शिवसेना के 18 सांसद पहले ही विभाजित हो चुके हैं. ऐसे में अगले साल होने वाले आम चुनाव में राकांपा को बढ़त मिलने की संभावना एक वास्तविक संभावना थी, लेकिन अजित पवार के छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल और धनंजय मुंडे जैसे विधायकों के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के साथ वॉकआउट ने पवार की एनसीपी को भी विभाजित कर दिया है.
लोकसभा में फायदे के लिए अजित पवार की राजनीतिक आकांक्षाएं पूरी कर रही बीजेपी
माना जाता है कि अजित पवार जिनके पास एनसीपी के 53 विधायकों में से 43 का समर्थन है और उन्हें महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री बनाया गया है. उनके ‘वास्तविक’ एनसीपी का नेतृत्व करने का दावा करने की उम्मीद है, जैसा कि एकनाथ शिंदे ने एक बार शिवसेना को लेकर दावा किया था. एनसीपी की टूट, उम्रदराज नेता और अजित पवार जिनकी राजनीतिक आकांक्षाओं को भाजपा पूरा कर रही है, यह केवल एक ही दिशा की ओर ले जाते हैं और वह है 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए बेहतर जीत.
प्रकाश जावड़ेकर कर चुके हैं बीजेपी के अकेले 350 सीट जीतने का दावा
जून की शुरुआत में भाजपा के राज्यसभा सांसद और राज्य के एक नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘पीएम मोदी में लोगों का विश्वास हमारी सबसे बड़ी ताकत है और हम दृढ़ता से मानते हैं कि भाजपा को 350 से अधिक सीटें मिलेंगी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ‘एनडीए’ को 2024 के लोकसभा चुनावों में 400 से अधिक सीटें मिलेंगी.
उद्धव ठाकरे और शरद पवार के कमजोर होने से और मजबूत होगा ब्रांड मोदी
राजनीति में धारणा बदलने की शुरुआत और अंत दोनों हो सकते हैं. 2011 में उत्तर प्रदेश में भट्टा पारसौल भूमि आंदोलन के दौरान, अन्यथा सफल मुख्यमंत्री मायावती को किसानों के खिलाफ देखा गया था. यह धारणा उन्हें उत्तर प्रदेश के अगले चुनाव में पश्चिमी क्षेत्र में महंगी पड़ी, जहां किसानों का एक बड़ा हिस्सा रहता है.
किसानों के बीच बीजेपी को छवि बनाने की चिंता
अभी हाल ही में किसान विधेयक की खूबियों की परवाह किए बिना, किसानों द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर एक साल के आंदोलन ने यह धारणा बनाना शुरू कर दिया कि भाजपा किसानों के हित की विरोधी है.