जिस तरह से होली के दिन यानी बीते मंगलवार को मध्य प्रदेश की राजनीति में नाटकीय ढंग से बदलाव देखने को मिला वो किसी अचंभे से कम नहीं था। जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया वहीं खबर है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया आज बीजेपी में शामिल हो सकते हैं उनके साथ सिंधिया समर्थक विधायकों के भी बीजेपी में शामिल होनी की खबर है। और एक बार फिर से मध्यप्रदेश की कमान कांग्रेस की हाथ से निकल कर बीजेपी के पास जाती दिख रही है।
इस सब उठापटक के बीच मध्यप्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बहुमत का दावा कर सियासी पारे को फिर से बढ़ा दिया है। आपको बता दें सीएम कमलनाथ ने कहा कि चिंता की बात नहीं है, हमारे पास बहुमत है। उन्होंने ये भी कहा कि विधायकों को कैद किया गया है। इतना ही नहीं पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने बैठक भी कहा कि कांग्रेस की सरकार को कोई खतरा नहीं है।आपको बता दें सत्ता की कुर्सी कांग्रेस के हाथ से जाती देख कल देर शाम तक मुख्यमंत्री आवास पर विधायकों की बैठक हुई इस बैठक में कुल 88 विधायक ही शामिल हुए।
दरअसल मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। एमपी में इस वक्त सरकार बनाने के लिए 115 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। कुल 230 विधायकों में से अचानक दो विधायकों की मौत के बाद कुल संख्या 228 हो गई है। जिसमे से कांग्रेस के 114 विधायक हैं, और बीजेपी के पास 107 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस को 2 बीएसपी, 4 निर्दलीय और 1 सपा के विधायक का समर्थन प्राप्त है। इन सभी के समर्थन के बाद कांग्रेस के पास इस वक्त 121 विधायक हैं। जो बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा हैं। अब 20 विधायकों के इस्तीफे के बाद सीएम कमलनाथ की कुर्सी पर खतरा मंडराता दिख रहा है।