बीजेपी की लिस्ट जारी होने के बाद इसके साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं. भाजपा के एक उम्मीदवार ने टिकट मिलने के बाद चुनाव लड़ने से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं तो दूसरे ने नाम घोषित होने से पहले ही मना कर दिया. इस लिस्ट में कई और नाम भी जुड़ गए हैं.
लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. बीजेपी ने शनिवार को 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश की 195 सीटों पर कैंडिडेट के नाम का ऐलान कर दिया है. बीजेपी की लिस्ट जारी होने के बाद साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं. बीजेपी के एक उम्मीदवार ने टिकट मिलने के बाद चुनाव लड़ने से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं तो दूसरे ने नाम घोषित होने से पहले ही मना कर दिया. इसके अलावा टिकट कट जाने के बाद दिल्ली के दिग्गज नेता डा. हर्षवर्धन ने राजनीति से संन्यास ले लिया है. इतना ही नहीं कई नेताओं ने तो बीजेपी की लिस्ट आने से पहले ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.
बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में भोजपुरी गायक पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया था, जहां से टीएमसी के शत्रुघन सिन्हा सांसद हैं. इसी तरह गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन पटेल मेहसाणा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से पीछे हट गए हैं. बीजेपी के इन दोनों ही कैंडिडेट ने लिस्ट आने के दूसरे दिन लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. इस तरह से दोनों ही नेताओं ने अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने का फैसला किया है.
पवन सिंह का चुनाव लड़ने से इनकार
आसनसोल लोकसभा सीट से भोजपुरी एक्टर और गायक पवन सिंह को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया, लेकिन दूसरे दिन ही उन्होंने कहा कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की वजह नहीं बतायी है, लेकिन ट्वीट करके जरूर कहा कि किसी कारणवश चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. हालांकि, पहले जब पार्टी ने आसनसोल सीट से उनके नाम का ऐलान किया था तो उन्होंने तुरंत सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए बीजेपी आलाकमान को धन्यवाद दिया था. ऐसे में अचानक चुनाव लड़ने से इनकार कर देने के बाद कई तरह से सवाल उठने लगे हैं.
पवन सिंह के चुनाव नहीं लड़ने के पीछे एक बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से बीजेपी द्वारा उन्हें मैदान में उतारने पर भारी विरोध हो रहा था. बिहार निवासी 38 वर्षीय पवन सिंह की पसंद ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था. कई लोगों ने उनकी डिस्कोग्राफी की ओर भी इशारा किया था, जिसमें बंगाली महिलाओं के आपत्तिजनक संदर्भ वाले कई गाने हैं. बीजेपी के एक धड़े को लगा रहा था कि पवन सिंह की उम्मीदवारी आसनसोल में पार्टी के लिए नुकसान साबित हो सकती है. इसीलिए उन्हें हटाने का निर्णय लिया गया और फिर ट्वीट आया जिसमें पवन सिंह ने कहा कि वह हट रहे हैं.
वहीं, दूसरी वजह ये भी बतायी जा रही है कि बिहार के आरा क्षेत्र के रहने वाले हैं, भोजपुर रीजन में आने वाली लोकसभा सीट से टिकट चाहते थे. इस इलाके में पवन सिंह की अपनी एक लोकप्रियता है और उनके इस इलाके से चुनाव लड़ने पर जीत की ज्यादा संभावना दिख रही थी. इसके पीछे वजह यह थी कि इस क्षेत्र से सियासी समीकरण भी उनके पक्ष में थे, क्योंकि राजपूत समुदाय से पवन सिंह आते हैं और इन इलाकों में सामान्य वर्ग के वोटर का दबदबा है. ऐसे में आसनसोल सीट उनके गणित में फिट नहीं बैठ रही थी, कहा जा रहा है इन्हीं वजह अपने कदम पीछे लिए हैं.
नितिन पटेल ने भी छोड़ा चुनावी मैदान
गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता नितिन पटेल ने मेहसाणा लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है. बीजेपी ने गुजरात की 26 में से 15 सीट पर शनिवार को उम्मीदवार के नाम घोषित किए थे, जिसमें मेहसाणा सीट का नाम शामिल नहीं था. बीजेपी की पहली लिस्ट आने के दूसरे दिन ही नितिन पटेल ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया उन्होंने कहा कि मेहसाणा लोकसभा सीट से पार्टी अपने प्रत्याशी का नाम तलाश कर रही है, अभी चयन प्रक्रिया जारी है, उससे पहले मैं अपनी उम्मीदवारी वापस लेता हूं. मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि नरेंद्र भाई मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनें और पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ाएं.
बीजेपी की पहली सूची आने से पहले तक वह मेहसाणा सीट पर कार्यकर्ताओं के बीच सक्रिय रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने लोकसभा चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर की है. पटेल ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अधीन अगस्त 2016 से सितंबर 2021 तक गुजरात के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था. इससे पहले नरेंद्र मोदी के सीएम रहते हुए उनकी कैबिनेट का हिस्सा रहे हैं. 2022 में नितिन पटेल ने विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था और उसके बाद लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन अब उन्होंने इससे भी इनकार कर दिया है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि वो लोकसभा चुनाव क्यों नहीं लड़ेंगे?
पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन का सियासी संन्यास
दिल्ली में बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन को इस बार टिकट नहीं मिला. चांदनी चौक लोकसभा सीट से बीजेपी ने दो बार के सांसद हर्ष वर्धन का टिकट काटकर प्रवीण खंडेलवाल को प्रत्याशी बनाया है. टिकट कटने के बाद रविवार को डॉ. हर्ष वर्धन ने सक्रिय राजनीति को छोड़ने का ऐलान कर दिया है. पांच बार विधायक और दो बार सांसद रहे हर्ष वर्धन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के रूप में कार्य किया है. उन्होंने ईएनटी सर्जन के रूप में अपने करियर में लौटने और पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर में अपने क्लिनिक में जिम्मेदारियों को फिर से शुरू करने का भी संकेत दिया.
डा. हर्ष वर्धन ने सक्रिय राजनीति से दूर हटने का ऐलान करते हुए कहा कि तीस साल से अधिक के शानदार चुनावी करियर के बाद, जिसके दौरान मैंने सभी पांच विधानसभा और दो संसदीय चुनाव भारी अंतर से जीते और केंद्र व राज्य में कई प्रतिष्ठित पदों पर काम किया, लेकिन मैं अब अपनी जड़ों की ओर लौट रहा हूं. इस तरह से उन्होंने राजनीतिक संन्यास लेने और फिर से अपने पुराने पेश में लौटने की बात कही है. माना जा रहा है कि टिकट न मिलने के वजह से राजनीति से उन्होंने यह कदम उठाया है.
गौतम गंभीर और जयंत सिन्हा का इनकार
पूर्व दिल्ली से बीजेपी के सांसद गौतम गंभीर और झारखंड के हजारीबाग से सांसद जयंत सिन्हा ने शनिवार को बीजेपी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आने से पहले ही सक्रिय राजनीति से अलग करने का आग्रह किया था. गौतम गंभीर ने अपने ट्वीट कर लिखा कि मैंने माननीय पार्टी अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि मुझे मेरे राजनीतिक कर्तव्यों से मुक्त करें ताकि मैं अपनी आगामी क्रिकेट प्रतिबद्धताओं पर ध्यान केंद्रित कर सकूं. गंभीर ने आगे लिखा कि मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देता हूं. उन्होंने पीएम मोदी के साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री को लोगों की सेवा का अवसर देने के लिए आभार व्यक्त किया. गौतम गंभारी 2019 में राजनीति में कदम रखा था और पूर्वी दिल्ली सीट से सांसद चुने गए थे, लेकिन पांच साल के बाद उन्होंने सियासत से दूर रहने का फैसला किया.
वहीं, झारखंड की हजारीबाग लोकसभा सीट से दो बार के सांसद जयंत सिन्हा ने भी राजनीति से दूर रहने का फैसला किया है. उन्होंने लिस्ट आने से पहले ट्वीट करके लिखा है कि मैंने माननीय पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से अनुरोध किया है मुझे मेरे प्रत्यक्ष चुनावी कर्तव्यों से मुक्त करें, जिससे वो भारत और दुनिया भर में वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने पर अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर सकें. सिन्हा ने आगे लिखा कि बेशक, मैं आर्थिक और शासन संबंधी मुद्दों पर पार्टी के साथ काम करना जारी रखूंगा. उन्होंने लिखा कि मुझे पिछले दस वर्षों से भारत और हज़ारीबाग़ के लोगों की सेवा करने का सौभाग्य मिला है. इस तरह से उन्होंने भी चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.
उपेंद्र रावत भी नहीं लड़ेंगे चुनाव
यूपी में बाराबंकी से भाजपा उम्मीदवार उपेंद्र सिंह रावत ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है, बीजेपी की पहली सूची में उनका नाम भी शामिल था. नाम का ऐलान होने के बाद ही उपेंद्र रावत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसे उन्होंने डीपफेक वीडियो बताया है, उपेंद्र रावत ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर खुद को निर्दोष बताते हुए लिखा कि जब तक मैं निर्दोष साबित नहीं होता, तब तक मैं सार्वजनिक जीवन में कोई चुनाव नहीं लडूंगा.
समझें बीजेपी के साइड इफेक्ट की वजह
दरअसल, बीजेपी 2024 लोकसभा चुनाव में किसी तरह की कोई राजनीतिक रिस्क नहीं लेना चाहती है. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 370 और एनडीए के 400 पार सीटें जीतने का टारगेट तय किया है. ऐसे में बीजेपी ने किसी भी ऐसे सांसद पर दांव नहीं लगाना चाहती है, जिसके जीतने पर संशय हो. बीजेपी जिताऊ प्रत्याशी पर ही अपना भरोसा जता रही है. बीजेपी ने अपने 195 के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में 40 से ज्यादा सांसदों के टिकट काट दिए हैं और उनकी जगह पर नए चेहरों पर दांव खेला है.
बीजेपी की रणनीति अपने कई पुराने सांसदों का टिकट काटने की है पार्टी की तरफ से पुराने चेहरों के स्थान पर नए चेहरों को उतारा जाएगा. इस क्रम में पार्टी के मौजूदा सांसदों को इसके संकेत मिलने लगे थे. माना जा रहा है कि अपना टिकट कटते देख पार्टी के सांसद सम्मानजनक तरीके से खुद ही किनारा कर रहे हैं. इसके अलावा जिन नेताओं ने चुनाव लड़ने से पीछे कदम खींचे हैं, उसकी वजह भी कहीं न कहीं पार्टी के संकेत हैं.