सही समय पर सही फैसला, लेकिन बड़ी परीक्षा अभी बाकी- विशेषज्ञ

वैश्विक महामारी Covid-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू देशव्यापी Lockdown को एक महीना पूरा हो गया और चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने सही समय पर सही फैसला लेकर खुद को अमेरिका और यूरोप जैसी स्थिति में पहुंचने से बचा लिया। वहीं कुछ की राय में बड़ी परीक्षा अभी बाकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च की रात 8 बजे देश में Lockdown की घोषणा की थी, जो उसी दिन आधी रात को लागू हो गया था।

भारत में Covid-19 का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था और ठीक 54 दिन बाद 25 मार्च को देश में Coronavirus के 519 पुष्ट मामले थे और 11 लोगों की इससे जान जा चुकी थी। 25 मार्च को देश में Lockdown लग चुका था, जो Covid-19 से निपटने की लड़ाई में भारत का सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ है। इस बीच, सरकार ने शुक्रवार को कहा कि PM नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रव्यापी Lockdown की घोषणा करना समय पर उठाया गया कदम था और अगर यह फैसला नहीं लिया गया होता तो भारत में अब तक Covid-19 के एक लाख मामले होते।

‘एम्पावर्ड ग्रुप वन’ के अध्यक्ष एवं नीति आयोग के सदस्य वी. के. पॉल ने कहा कि PM नरेंद्र मोदी का राष्ट्रव्यापी Lockdown का फैसला ‘‘समय रहते उठाया गया एक लाभदायक कदम’’ साबित हुआ और देश में Covid-19 मामलों की रफ्तार में आया बदलाव इसकी पुष्टि करता है। उन्होंने कहा, ‘‘अब यह ग्राफ समतल होना शुरू हो गया है। अगर हमने राष्ट्रव्यापी Lockdown का फैसला नहीं लिया होता तो अनुमान के अनुसार अब तक Covid-19 के करीब एक लाख मामले होते। अब महामारी का प्रकोप काबू में है।’’

भारत में Lockdown के एक माह पूरे होने पर अब देश में कोविड-19 के 23,452 मामले हैं। वहीं विश्वभर में इससे 27.3 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं और 1.91 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। Coronavirus से अमेरिका और ब्रिटेन तथा कुछ यूरोपीय देश सर्वाधिक प्रभावित हैं।

PM ने 14 अप्रैल को 21 दिन का Lockdown खत्म होने से पहले ही इसे अतिरिक्त 19 दिन यानी 3 मई तक बढ़ा दिया था। ऐसा करने का कारण देश में Covid-19 के लगातार बढ़ते मामले और अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों से वायरस के प्रकोप की सामने आ रही भयावह तस्वीरें थीं।

‘श्री गंगा राम अस्पताल’ में फेफड़ों के सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि एक महीने का Lockdown भारत के लिए काफी फायदेमंद रहा और देश अमेरिका या यूरोप जैसी स्थिति में पहुंचने से भी बच गया। उन्होंने कहा, ‘‘ महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सहयोगी सेवाओं को तैयार होने के लिए 30 दिन दिए ताकि वह आने वाले दिनों में वायरस के प्रकोप से निपट पाएं।’ कुमार ने कहा, ‘‘ Lockdown को बेहद धीरे-धीरे हटाना चाहिए। स्कूल, कॉलेज, मॉल, सिनेमाघर, धार्मिक स्थल और बाजार जैसी सुविधाएं मई में भी बंद रहनी चाहिए।’’

‘फोर्टिस एस्कॉर्ट्स’ (फरीदाबाद) के पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख रवि शेखर झा ने भी सरकार के Lockdown लगाने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह निर्णय सही समय पर ले लिया गया। उन्होंने हालांकि असली चुनौती के अब सामने आने की बात कही और साथ ही सबसे अधिक प्रभावित इलाकों की पहचान कर वहां केवल जरूरी सेवाओं को अनुमति देने पर जोर दिया। ‘मैक्स हैल्थकेयर’ के इंटरनल मेडिसन के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. रोमेल टिक्कू ने कहा कि अमेरिका और यूरोप से तुलना करें तो भारत में Lockdown काफी कारगर साबित हुआ है। Lockdown के बाद भारत के समक्ष पेश होने वाली चुनौतियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध हटाए जाने चाहिए।

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