छत्रपति शिवाजी महाराज की आज 388वीं जयंती है। देश के वीर सपूतों में से एक Shivaji महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनका पूरा नाम Shivaji भोंसले था। Shivajiकई कलाओं में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी। महाराणा प्रताप की तरह वीर Shivaji राष्ट्रीयता के जीवंत प्रतीक एवं परिचायक थे। 6 जून 1674 को शिवाजी मुगलों को परास्त कर लौटे और उनका मराठा शासक के रूप में राज्याभिषेक हुआ था। Shivaji महाराज का विवाह 14 मई, 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल, पुना में हुआ था। उनके पुत्र का नाम संभाजी था।
महाराज से जुड़ी कुछ बातें…
Shivaji पिता शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे। उनका जन्म स्थान पुणे के पास स्थित शिवनेरी का दुर्ग है। Shivaji एक सेक्युलर शासक थे और वे सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे। वह जबरन धर्मांतरण के सख्त खिलाफ थे। उनकी सेना में मुस्लिम बड़े पद पर मौजूद थे। इब्राहिम खान और दौलत खान उनकी नौसेना के खास पदों पर थे। सिद्दी इब्राहिम उनकी सेना के तोपखानों का प्रमुख था।
खेलते हुए सीखा किला जीतना
कहा जाता है कि Shivaji अपने बचपन पर किला जीतने का खेल खेला करते थे और इस खेल के दौरान ये अपने दोस्तों के नेता बनते थे। अपने दोस्तों के साथ ये किला जीतने की रणनीति बनाते थे। इन्हीं खेलों को खेलकर इ्न्होंने ये बचपन में ही सीख लिया था कि किस तरह से किले पर कब्जा किया जाता है।
शिवाजी के गुरु
समर्थ रामदास जी छत्रपति Shivaji महाराज के गुरु हुआ करते थे और ये अपने गुरु से काफी प्रभावित थे, कहा जाता है कि छत्रपति Shivaji महाराज को ‘महान शिवाजी’ बनाने में के पीछे इनके गुरु का काफी योगदान रहा है और इनके गुरु की मदद से ही ये महान राजा बन सके थे।
मुगलों से टक्कर
छत्रपति Shivaji की बढ़ती ताकत से मुगल राज्य के बादशाह औरंगजेब भी परेशान थे और उन्होंने भी Shivaji के पकड़ने के लिए कई कोशिश की। कहा जाता है कि Shivaji से औरंगजेब की हुई लड़ाई में औरंगजेब के बेटे की मौत हो गई थी। जबकि औरंगजेब की अंगुलियां भी इस युद्ध के दौरान कट गईं थी।