लद्दाख में कोरोना वायरस के आगे डटीं दो नर्स बन गईं नजीर

डरें नहीं, इसे डराकर भगाएं…।

दो युवा नर्सों की अलख ने CORONA को मात देने की लोगों में ऐसी हिम्मत भरी कि लद्दाख पूरे विश्व में आज नजीर बन गया है। यहां CORONA अंतिम सांसें गिन रहा है। लद्दाख के सबसे बड़े सोनम नारबू मेमोरियल अस्पताल में तैनात दो नर्स यंगचम स्कूरबुचान और गमो लिकिर CORONA के मरीजों के वार्ड में जाने वाली पहली कर्मचारी रहीं। अस्पताल में मरीजों को देख कोई भाग खड़ा हुआ तो कोई घबरा गया, लेकिन दोनों नर्सों ने परवाह नहीं की। उन्होंने ऑडियो संदेश जारी कर लोगों का हौसला भी बढ़ाया और सभी का दिल जीत लिया।

बताती हैं कि जब कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल में पहुंचे तो डर का माहौल था। कोई भी उनका इलाज करने को तैयार नहीं था। हमारे परिवार वाले भी हमें मना कर रहे थे, लेकिन हम खुद ही वार्ड में अपनी ड्यूटी के लिए गए। सूझबूझ से काम लिया। पूरी सावधानी भी बरती। पांच साल के बच्चे की मां यंगचम का कहना है कि हम पूरा दिन कोरोना के मरीजों का इलाज में जुटे हुए हैं। अब तक 17 संक्रमितों में से 11 ठीक हो चुके हैं। उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। कारगिल के मामले को छोड़ दें तो 16 दिन से एक भी नया मामला दर्ज नहीं हुआ।

मार्च में जब लद्दाख सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में कोरोना के मामले बढ़ रहे थे तो दोनों ही नर्सों ने 8 मिनट का ऑडियो संदेश बनाया। इसमें उन्होंने लोगों से आगे आकर डर दूर करने को कहा। यंगचम ने कहा कि इन मरीजों का इलाज अपने परिवार के सदस्य की तरह करें। उन्होंने यह भी कहा कि सभी लोग इस बीमारी से बचाव के तरीकों के बारे में जानें। मरीजों को भी भावनात्मक समर्थन दें। यह उनकी गलती नहीं है कि वे इस संक्रमण के शिकार हो गए हैं। कृप्या उनसे प्यार के साथ पेश आएं और उनकी बेहतर देखभाल करें।

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