विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े राजस्थान में अब सभी सियासी दलों ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है. एक तरफ कांग्रेस पार्टी जहां अपनी जनसरोकार वाली योजनाओं के दम पर सत्ता में वापसी का विश्वास लेकर आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्ताविरोधी लहर का भरोसा दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि गुरुवार 27 जुलाई को राजस्थान के शेखावटी रीजन के सीकर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रैली में राज्य की कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा. इस दौरान प्रधानमंत्री ने एक “लाल डायरी” का जिक्र किया. पीएम मोदी ने कहा कि राजस्थान में सरकार चलाने के नाम पर कांग्रेस ने सिर्फ लूट की दुकान चलाई है और झूठ का बाजार सजाया है. उन्होंने कहा कि लूट की इस दुकान का सबसे ताजा प्रोडक्ट है…राजस्थान की लाल डायरी…पीएम मोदी ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि लाल डायरी के पन्ने खुले तो अच्छे-अच्छे निपट जाएंगे. चलिए आपको बताते हैं कि क्या ये लाल डायरी और कैसे ये डायरी बीजेपी के लिए आने वाले विधानसभा चुनाव में एक मुद्दा बन गई है.
बता दें कि राजस्थान की राजनीति में आजकल इस लाल डायरी की खासी चर्चा है और लाल डायरी का खुलासा किसी और नहीं राज्य की अशोक गहलोत सरकार के मंत्री और शेखावटी रीजन से ही आने वाले विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने किया था. गुढ़ा ने दावा किया था कि इस लाल डायरी में गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत हैं. राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्य में कांग्रेस की सरकार है और बीजेपी को सत्ता में आने का इंतजार है. इन सब के बीच कई ऐसी राजनीतिक हलचल हुई है, जिसने कहीं ना कहीं राज्य में सियासी सूखा झेल रही बीजेपी को मौका दे दिया है. बात शुरू हुई 21 जुलाई को मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर विधानसभा में कांग्रेस सरकार के मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा के बयान से. राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने विधानसभा में अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए विधानसभा में कहा राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं. ऐसे में हमें मणिपुर पर बात करने की बजाय पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए.”
झुंझुनू जिले की उदरपुरवाटी सीट से विधायक गुढ़ा के इस बयान ने बीजेपी को मौका दे दिया. मौका देख बीजेपी सदन में आक्रामक हो गई. लेकिन पहले भी अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ तीखे बयान देने वाले गुढ़ा की गलती इस बात गहलोत को माफ करने लायक नहीं लगी. विधानसभा में गुढ़ा के बयान के करीब तीन घंटे बाद ही सीएम अशोक गहलोत की सिफारिश पर उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया. गहलोत सरकार में मंत्री पद से बर्खास्त होने के बाद राजेंद्र गुढ़ा ने मीडिया के बीच लाल डायरी का जिक्र करते हुए सीधा सीएम अशोक गहलोत और उनकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि उन्हें सच बोलने की सजा मिली है. गुढ़ा मीडिया से सामने ये कहते सुने गए कि मैं सिर कटा दूंगा लेकिन सच बोलने से पीछे नहीं हटूंगा.
लाल डायरी से उड़े नेताओं के होश
गुढ़ा को बर्खास्त किए जाने को बीजेपी ने भी हाथों हाथ लिया और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्त शहजाद पूनावाला ने इसे सच बोलने की सजा करार दिया. इसके बाद मंत्री पद से बर्खास्त होने के ठीक 3 दिन बाद यानी 24 जुलाई को राजेंद्र गुढ़ा विधानसभा में लाल रंग की एक डायरी लेकर पहुंचे. ये वही डायरी है जिसने राजस्थान की राजनीति में भूचाल ला रखा है. गुढ़ा डायरी लेकर स्पीकर की तरफ आगे बढ़ते हैं और चेयर के पास पहुंचकर उसे स्पीकर के सामने लहराते हैं, गुढ़ा के डायरी लहराने का विपक्षी विधायक जमकर समर्थन करते हैं. अचानक से सदन में हंगामा मच जाता है, आपस में जमकर धक्का-मुक्की होती और स्पीकर के आदेश पर मार्शल ने राजेंद्र गुढ़ा को सदन से बाहर कर देते हैं. सदन से बाहर आते ही गुढ़ा गहलोत सरकार पर जमकर बरसते हैं.
मार्शल द्वारा सदन से बाहर निकाले जाने के बाद राजेंद्र गुढ़ा मीडिया से मुख़ातिब होते हैं और सीधे सीएम गहलोत पर आरोप लगाते हैं. विधानसभा के बाहर आकर गुढ़ा कहते हैं कि सीएम अशोक गहलोत के इशारे पर उनसे लाल डायरी छीनी गई. गुढ़ा ने डायरी छीनने का आरोप कांग्रेस विधायक रफीक खान पर लगाया. साथ ही ये भी कहा कि उनके साथ विधानसभा में मारपीट की गई. जब बीबीसी ने रफीक खान से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि गुढ़ा के आरोप गलत हैं. मैं सदन में ही खड़ा हुआ था, कोई डायरी छीनता तो नोटिस होता. इनको चाहिए कि डायरी को खोलें और बताएं. ये बिना वजह सनसनी फैलाने का काम कर रहे हैं.
शेखावाटी क्षेत्र में ऊंट की सवारी कर जनता से रू-ब-रू होंगे गुढ़ा
बता दें कि लाल डायरी के हवाले से राजेंद्र गुढ़ा ने अशोक गहलोत और उनकी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए. उनके दावा है कि लाल डायरी में राज्यसभा चुनावों के लिए विधायकों की खरीदारी का भी जिक्र है. इसके साथ ही गुढ़ा ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और दावा किया कि इससे संबंधित कई राज उस लाल डायरी में हैं. बता दें कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन यानी आरसीए के अध्यक्ष अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत हैं. पहले मंत्री पद से, फिर विधानसभा से और इसके कुछ मिनटों बाद कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किए गए विधायक राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि अब वे ऊंट गाड़ी से पूरे शेखावाटी क्षेत्र की जनता के सामने जाएंगे और अपनी बात कहेंगे.
पायलट-गहलोत के बीच तकरार में गुढ़ा सचिन खेमे से बोलने लगे
आपको बता दें कि राजेंद्र गुढ़ा साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले उन 6 विधायकों में से हैं, जिन्हें बाद में अशोक गहलोत ने कांग्रेस में मिला लिया था. इसका इनाम उन्हें मंत्री बनाकर भी दिया गया था. लेकिन इस बीच राज्य में पायलट और गहलोत के बीच हुई खेमेबाजी में भी गुढ़ा के बयान लगातार सुर्खियां बटोरते रहे. 2020 के बाद राज्य में जब-जब पायलट-गहलोत के बीच की कलह खुलकर सामने आई तो उस वक्त भी गुढ़ा गहलोत के खिलाफ वाले मोर्च के साथ खड़े दिखे. गुढ़ा साल 2008 में भी बीएसपी से जीते थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया था. उस दौरान भी अशोक गहलोत सरकार में वे मंत्री बने थे. राजपूत समाज से आने वाले राजेंद्र गुढ़ा के मंत्री पद से बर्ख़ास्त होने के बाद राजसमंद करणी सेना ने उनके समर्थन में प्रदर्शन किया है. राजेंद्र गुढ़ा कई बार कह चुके हैं कि वे बीएसपी से टिकट लाते हैं और जीत कर कांग्रेस में मंत्री बन जाते हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि वे अपने चेहरे पर जीत कर आते हैं. बता दें कि जिस उदयपुरवाटी विधानसभा से राजेंद्र गुढ़ा जीतते हैं उसमें 35-40 हजार जाट, 25 से 30 हजार गुर्जर, 18 हजार मुस्लिम, 30-45 हजार एससी, 25 हजार माली और 30 हजार राजपूत वोट हैं. राजेंद्र गुढ़ा को एससी, राजपूत, मुस्लिम, कुछ जाट वोट भी मिलते रहे हैं. राजेंद्र गुढ़ा को पहले गुर्जर वोट नहीं देते थे. लेकिन अब सचिन पायलट के साथ जाने के कारण गुर्जर वोट भी उन्हें मिले हैं.
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुढ़ा को उनकी सीट उदयपुरवाटी से चुनावी मैदान में उतार दिया, लेकिन उस वक्त गुढ़ा चुनाव हार गये. इस कारण 2018 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया. जिसके बाद फिर से गुढ़ा ने बसपा का दामन थाम लिया. बसपा ने इस बार गुढ़ा को उदयपुरवाटी सीट से टिकट दिया. इस बार इनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार शुभकरण चौधरी और कांग्रेस के भगवान राम सैनी से था. इस त्रिकोणीय चुनाव में गुढ़ा ने जीत हासिल की. चुनाव जीतने के बाद मंत्री पद के लिए गुढ़ा फिर से बीएसपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए. गहलोत सरकार ने राज्यमंत्री बना दिया. लेकिन गहलोत-पायलट विवाद में उन्होंने जमकर पायलट गुट का साथ दिया. जिसके कारण वो गहलोत के विरोधी बनते चले गए.