जानिए बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज कैसे बने हैं हर देश के लिए भयावह

भारत समेत कुछ दूसरे देश रैपिड टेस्‍ट किट के खराब होने की समस्‍या के अलावा एक दूसरी समस्‍या से भी जूझ रहे हैं। ये दूसरी समस्‍या बने हैं एसिम्प्टोमैटिक मरीज। ये वो मरीज होते हैं जिनमें Coronavirus के लक्षण दिखाई नहीं देते और वो अनजाने में इससे दूसरों को प्रभावित कर देते हैं। इन्‍हें तलाश करना, इनका इलाज करना हर किसी के लिए बड़ी चुनौती है। ये एक बड़ा खतरा भी हैं।

हालांकि Corona के कितने मरीजों में लक्षण नहीं दिखते इसका आंकड़ा हर जगह अलग-अलग ही दिखता है। ICMR की मानें तो भारत के करीब 69% मरीज ऐसे हैं जिनमें शुरुआती लक्षण नहीं दिखे। इसके अलावा सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन और WHO का शोध कहता है कि विश्व में करीब 50 से 70 प्रतिशत मरीजों में संक्रमण का पता नहीं चला। पर ये प्रमाणित नहीं हो सका है कि इनसे एक साथ कितने लोग संक्रमित हो सकते हैं।


इन मरीजों के बारे में अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी और संक्रामक रोगों के निदेशक एंथोनी फाऊची का मानना है कि इस खतरे को ज्यादा से ज्‍यादा टेस्ट करके इस खतरे को कम किया जा सकता है। वहीं वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में सात सौ संक्रमित बच्चों पर शोध में पाया गया कि 56 प्रतिशत में कोई लक्षण नहीं थे। यूनिवर्सिटी ऑफ पीट्सबर्ग मेडिकल सेंटर के पेड्रियाटिक एक्सपर्ट ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 10 से 30 प्रतिशत बच्चों में यह सामान्य है। इसलिए बच्चों पर भी खास ध्यान देने की बात तमाम रिसर्च में की गई है।

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