Kanpur Violence: ‘ऑपरेशन कानपुर’ में खुला हिंसा की साजिश का कच्चा-चिट्ठा, जानें क्‍या है हाजी सलीस का दावा?

यूपी के कानपुर में हुई हिंसा को लेकर एक निजी चैनल ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया है, जिसका मकसद हिंसा भड़काने की साजिश रचने वाले आरोपियों के बारे में जनता को आगाह करना है. इस स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ है कि कैसे साजिश के तहत कुछ लोगों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए कानपुर में लोगों की भावनाओं को भड़काया था. हालांकि इस स्टिंग ऑपरेशन का मकसद किसी शख्स, राजनीतिक पार्टी या फिर धर्मगुरु की छवि धूमिल करना नहीं है.

‘ऑपरेशन कानपुर’ में धर्मगुरु हाजी सलीस की कानपुर में 3 जून के बंद की कॉल पर नाराजगी साफ झलक रही थी. उन्‍होंने कहा कि जिन लोगों ने कॉल दी उनके पास न इफरात थी न कोई वैल्यू. इन्होंने लोगों के जज़्बात को उभार दिया और उसमें बहुत से संगठन कूद गए. कुछ बेवकूफ किस्म के मौलवी भी कूद गए कि हमारे नबी की अजमत का मामला है. अवाम तो अवाम है, लेकिन जब मस्जिदों और मोहल्लों से बाजार बंदी की कॉल आ गई तो फिर लोगों ने अपना कारोबार बंद कर दिया. चलो भाई बंद कर दिया, लेकिन आपको सड़कों पर निकलने की क्या जरूरत थी. आप परेड पर क्यों गए, कौन सा ऐसा मामला था. कहीं न कहीं पहला फॉल्ट हमारा है

हाजी सलीस ने हिंसा का कच्चा-चिट्ठा खोला
वहीं, हाजी सलीस ने हिंसा के मुख्‍य आरोपी हयात जफर हाशमी को लेकर सवाल किया तो उन्‍होंने पूरा कच्चा-चिट्ठा खोल दिया. हाजी सलीस ने ‘ऑपरेशन कानपुर’ में कहा कि हयात ने मौलवियों की मीटिंग बुलाई थी. मौलवियों ने कहा कि बिल्‍कुल होना चाहिए, ये मेरे नबी की अजमत की बात है. नबी की अजमत के नाम पर सारा मुसलमान निकल जाता है. इसके साथ उन्‍होंने कहा कि हयात की कोई वैल्यू नहीं थी. उसके हाथ से बंदी का तीर छूट गया तो फिर उसमें वापस लेने की ताकत नहीं थी. ये बदकिस्मती थी कि मेरे पैर में फ्रैक्चर न होता मैं उसी वक्त निकल कर के कंट्रोल करता.

हयात जफर हाशमी के साथ शामिल थे कई और नाम
इसके साथ हाजी सलीस का दावा है कि हयात जफर हाशमी के अलावा कानपुर हिंसा भड़काने की साजिश में कई दूसरे लोग शामिल थे. उन्‍होंने बताया कि हाशमी के अलावा इसमें नदीम, शहाबुद्दीन, जीशान मंसूरी, अखलाक डेविड और मुजीब यूसुफ मंसूरी शामिल हैं. इसके साथ हाजी सलीस ने कहा कि इनमें से कुछ लोग पीएफआई और कुछ अन्‍य संगठनों से जुडे़ हुए हैं. इसके साथ सलीस ने दावा किया कि इन तमाम लोगों ने ही कानपुर के मुस्लिम समुदाय को भड़काया जिसकी वजह से कुछ बेकसूर आज जेल में बंद हैं.

इसके साथ हाजी सलीस ने स्टिंग ऑपरेशन में सवाल किया गया है कि आपने जो नाम लिए हैं, उनमें हाशमी को छोड़कर सब पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. उन्‍होंने कहा कि पुलिस समझ रही है ये हमारे हैं, असल में आग उन्होंने ही लगाई है. मेरी तो किसी से दुश्मनी नहीं है, लेकिन इनकी वजह से समाज के निर्दोष बच्चे फंसे हैं और जेल गए हैं.

हिंसा के पीछे काजी कुद्दूस की थी अहम भूमिका?
हाजी सलीस ने स्टिंग ऑपरेशन में बताया कि इस हिंसा के पीछे शहर काजी हाजी कुद्दूस की अहम भूमिका थी. इसके साथ बताया कि कुद्दूस ने ही सीएए और एनआरसी को लेकर कानपुर में धरना प्रदर्शन करवाया था. वहीं, जब न्‍यूज़ 18 इंडिया की टीम ने कानपुर शहर के आठ काजियों में से एक है और मुस्लिम समुदाय में बड़ा रूतबा रखने वाले कुद्दूस से बातचीत की तो वह अपना आपा खो बैठे और 3 जून की हिंसा के मामले पर बोलने के बजाए पुलिस की जांच पर ही भड़क गए.
कानपुर शहर काजी हाजी कुद्दूस ने कहा कि बराबर ये चीजें हमारे साथ पेश आ रही हैं. हम मुर्दा कौम नहीं है बल्कि जिंदा कौम हैं. वक्त बदलता है. हमने 800 साल हुकूमत की किसी के साथ ज्यादती नहीं की. आप कितने लोगों को बदं करोगे. हम इंतजार कर रहे हैं गोलियां चलवाओ, पूरे के पूरे इलाके को जलवा दो, तभी मसला हल होगा. साथ ही कहा कि हिंसा का मसला इतना बड़ा है ही नहीं, जितना बड़ा उसे बना दिया गया है.

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