बिहार का रण: महागठबंधन में छोटे दलों को ज्यादा सीटें नहीं देना चाहती RJD

बिहार में विधानसभा चुनाव 2020 से ठीक पहले महागठबंधन (Mahagathbandhan) को तब तगड़ा झटका लगा जब जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) इससे अलग हो गई। मांझी के अचानक साथ छोड़ने के बाद RJD नेतृत्व चुनावी रणनीति को लेकर नए सिरे प्लानिंग में जुट गया है। पार्टी को लग रहा कि गठबंधन में शामिल छोटे दलों के साथ ज्यादा सीट शेयरिंग से विपक्षी गठबंधन को नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि पार्टी मुकेश सहनी की पार्टी VIP और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP को खास महत्व देने को तैयार नहीं है। इसकी जगह RJD का प्लान कांग्रेस और वाम दलों के साथ पारंपरिक गठबंधन को और मजबूती देने पर है।

RJD से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ये आशंका दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व को बताई गई है। इसके साथ ही महागठबंधन के प्रमुख दल आरजेडी और कांग्रेस नए सिरे से सियासी समीकरण बिठाने पर विचार में जुटे हुए हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में, आरजेडी, कांग्रेस, RLSP, VIP और HAM ने महागठबंधन किया था और एक साथ चुनाव मैदान में उतरे थे। हालांकि, उस समय बिहार की 40 में से केवल एक सीट गठबंधन में शामिल कांग्रेस ने जीती थी।

RJD नेताओं को लगता है कि उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी की पार्टी को गठबंधन में महत्व दिए जाने के बाद भी वो अपनी जाति के वोटों को ट्रांसफर करने में सक्षम नहीं नजर आए। महागठबंधन में शामिल बड़ी पार्टियां भी इन दलों के साथ टिकट बंटवारे से खुश नहीं हैं। इसमें 2019 के लोकसभा चुनाव का मुद्दा उठाया गया, जिसमें RLSP ने पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा। जिसमें कुशवाहा खुद 2 सीटों से चुनाव मैदान में उतरे, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पार्टी को उम्मीदवार नहीं मिले। इसी तरह, मुकेश सहनी की पार्टी VIP ने तीन सीटों पर उम्मीदवारी की। हालांकि, उनका नाम लोगों के बीच उतना लोकप्रिय नहीं होने की वजह से खास फायदा नहीं हुआ।

RJD के अनुसार एक समस्या यह भी है कि लोग इन नई पार्टियों के चुनाव चिन्ह को नहीं पहचानते हैं और इससे मतदाताओं में भ्रम पैदा होता है। इन परिस्थितियों में पार्टी ने कांग्रेस के सामने दो विकल्प प्रस्तुत किए हैं। पहला यह है कि इन दलों को RJD और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहिए। दूसरा विकल्प यह है कि वो अपनी सीटों की संख्या को कम से कम 10-12 के आसपास कर लें और उम्मीदवार के चयन में पूरी बात स्पष्ट की जाए। RJD का कहना है कि सीट शेयरिंग में ‘जीत की योग्यता’ का मापदंड जरूरी है बावजूद इसके कि कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ता है।

बिहार विधानसभा चुनाव में RJD 150-160 सीटों पर और कांग्रेस 50-55 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है। करीब 20 सीटें वामपंथी दलों के पास जा सकती हैं। वहीं सीट शेयरिंग फॉर्मूले में कुशवाहा और सहनी की पार्टियों को 20-23 सीटों पर खुद को सीमित करना होगा। गठबंधन में एक धारणा यह भी बन रही कि इन दलों के विधायक जीत के बाद दूसरे गठबंधनों के साथ सौदेबाजी शुरू कर देते हैं। RJD नेता कहा कि आरएलएसपी के पास 2015 में दो विधायक थे। बाद में दोनों ने पार्टी छोड़ दी।

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