पहले चरण में13 सीट पर मतदान कल,झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रशासन तैयार

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। शनिवार (30 नवंबर) को 6 जिलों की 13 विधानसभा सीटों पर 37,34,814 मतदाता 189 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। इस चरण में पलामू जिला की सबसे ज्यादा 5 सीटों पर वोटिंग है। लातेहार, गुमला और गढ़वा जिला की 2-2 सीटों के अलावा लोहरदगा और चतरा की 1-1 सीट पर भी मतदान होगा। इसके लिए कुल 4,892 बूथ बनाये गये हैं। इस चरण में 1,202 मतदान केंद्र संवेदनशील और 1,790 मतदान केंद्र अतिसंवेदनशील घोषित किये गये हैं।

छतरपुर से बीजेपी के टिकट पर 2014 का विधानसभा चुनाव जीतने वाले राधाकृष्ण किशोर इस बार आजसू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। भवनाथपुर से नौजवान संघर्ष मोर्चा के प्रमुख और क्षेत्र के विधायक इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वह पहली बार यहां से ‘कमल’ खिलायेंगे। लातेहार के विधायक ने भी इस बार पाला बदल लिया है।

8 सीटों पर इस वक्त बीजेपी का कब्जा है। झामुमो, कांग्रेस, नौजवान संघर्ष मोर्चा, बीएसपी और आजसू के खाते में एक-एक सीटें हैं। 13 में से 7 सीटें आरक्षित हैं, जिसमें 4 (गुमला, बिशुनपुर, लोहरदगा और मनिका) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, तो 3 (चतरा, लातेहार और छतरपुर) अनुसूचित जाति के लिए। 6 सीटों पर सामान्य वर्ग के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। कई प्रत्याशियों ने इस बार दल भी बदल लिया है।

गुमला विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है । यह सीट 1951 में बना था। तब से अबतक इस क्षेत्र की जनता ने 15 विधायक चुने और इस बार 16वां विधायक चुनेंगे। गुमला विस सीट के अंतर्गत गुमला, रायडीह, चैनपुर, डुमरी व जारी प्रखंड है। इस बार के चुनाव में 12 उम्मीदवार मैदान में हैं।

चतरा के एक और उम्मीदवार जनार्दन पासवान पिछली बार राजद में थे। इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र के विधायक और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत इस बार बीजेपी के उम्मीदवार हैं। हर सीट पर आर-पार की ल़ड़ाई देखने को मिलेगी ।

लोहरदगा विधानसभा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इसमें सात प्रखंड शामिल है। इस बार 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र के पहले विधायक इग्नेश कुजूर स्वतंत्र पार्टी के थे। 1972 से लेकर 1990 तक कांग्रेस पार्टी के इंद्रनाथ भगत ने लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

बिशुनपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह सीट 1977 में बनी थी. तबसे अबतक नौ विधायक चुने गये. इसबार जनता 10वां विधायक चुनेगी। कांग्रेस के भुखला भगत सबसे अधिक तीन बार विधायक चुने गये थे। इस बार झामुमो के चमरा लिंडा हैट्रिक लगाने के इरादे से चुनाव मैदान में हैं।

लातेहार विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यह विधानसभा क्षेत्र 1952 से अस्तित्व में आया है। इसमें पांच प्रखंड हैं। जिसमें लातेहार, चंदवा, बालूमाथ, बारियातू व हेरहंज के नाम शामिल हैं. इस बार 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

मनिका विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यह विधानसभा क्षेत्र 1952 से अस्तित्व में आया है। इसमें चार प्रखंड हैं जिसमें मनिका, बरवाडीह, गारू व महुआडांड है। इसमें लातेहार के तीन पंचायत भी शामिल हैं। इस बार 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी में आता है। यह विधानसभा क्षेत्र 1951-52 से चुनाव हो रहा है। इसके पहले विधायक अमिय कुमार घोष रहे हैं। इसमें तीन चैनपुर, भंडरिया, डालटनगंज सतबरवा के इलाके आते हैं।

पांकी विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी में आता है। इसमें लेस्लीगंज, पांकी, मनातू, तरहसी व सतबरवा के कुछ इलाके आते हैं। यहां से विदेश सिंह का लगातार तीन बार जीतने का रिकॉर्ड रहा है।

छतरपुर विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। इसमें छतरपुर, पाटन, नौडीहा, किशुनपुर आदि के इलाके आते हैं। यहां से सर्वाधिक चार बार राधाकृष्ण किशोर चुनाव जीते हैं। छतरपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिल चुका है।

बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी में आता है। इसमें पांडु, उंटारीरोड, मझिआंव नगर पर्षद, नावाबाजार आदि के क्षेत्र आते हैं। यहां से चार बार ददई दुबे चार बार चुनाव जीते हैं। बिश्रामपुर व मझिआंव को नगर पंचायत का दर्जा मिल चुका है।

गढ़वा विधानसभा सीट वर्ष 1957 से अस्तित्व में आया है। यह सीट सामान्य श्रेणी में आता है। अब तक यहां से 14 विधायक चुने गये हैं।

भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र 1957 से अस्तित्व में आया था। यह सीट भी सामान्य श्रेणी में आता है। अब तक यहां से 13 विधायक चुने गये हैं, सबसे अधिक यहां से कांग्रेस ने जीत हासिल की है।

हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी में आता है। इसमें हैदरनगर, मोहम्मदगंज, हरिहरगंज, पीपरा के क्षेत्र आते हैं। यहां से हरिहर सिंह चार बार चुनाव जीते थे।


गुमला विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है
। यह सीट 1951 में बना था। तब से अबतक इस क्षेत्र की जनता ने 15 विधायक चुने और इस बार 16वां विधायक चुनेंगे। गुमला विस सीट के अंतर्गत गुमला, रायडीह, चैनपुर, डुमरी व जारी प्रखंड है। इस बार के चुनाव में 12 उम्मीदवार मैदान में हैं।
चतरा के एक और उम्मीदवार जनार्दन पासवान पिछली बार राजद में थे। इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र के विधायक और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत इस बार बीजेपी के उम्मीदवार हैं। हर सीट पर आर-पार की ल़ड़ाई देखने को मिलेगी ।
लोहरदगा विधानसभा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इसमें सात प्रखंड शामिल है। इस बार 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र के पहले विधायक इग्नेश कुजूर स्वतंत्र पार्टी के थे। 1972 से लेकर 1990 तक कांग्रेस पार्टी के इंद्रनाथ भगत ने लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
बिशुनपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह सीट 1977 में बनी थी. तबसे अबतक नौ विधायक चुने गये. इसबार जनता 10वां विधायक चुनेगी। कांग्रेस के भुखला भगत सबसे अधिक तीन बार विधायक चुने गये थे। इस बार झामुमो के चमरा लिंडा हैट्रिक लगाने के इरादे से चुनाव मैदान में हैं।
लातेहार विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यह विधानसभा क्षेत्र 1952 से अस्तित्व में आया है। इसमें पांच प्रखंड हैं। जिसमें लातेहार, चंदवा, बालूमाथ, बारियातू व हेरहंज के नाम शामिल हैं. इस बार 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
मनिका विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यह विधानसभा क्षेत्र 1952 से अस्तित्व में आया है। इसमें चार प्रखंड हैं जिसमें मनिका, बरवाडीह, गारू व महुआडांड है। इसमें लातेहार के तीन पंचायत भी शामिल हैं। इस बार 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी में आता है। यह विधानसभा क्षेत्र 1951-52 से चुनाव हो रहा है। इसके पहले विधायक अमिय कुमार घोष रहे हैं। इसमें तीन चैनपुर, भंडरिया, डालटनगंज सतबरवा के इलाके आते हैं।
पांकी विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी में आता है। इसमें लेस्लीगंज, पांकी, मनातू, तरहसी व सतबरवा के कुछ इलाके आते हैं। यहां से विदेश सिंह का लगातार तीन बार जीतने का रिकॉर्ड रहा है।
छतरपुर विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। इसमें छतरपुर, पाटन, नौडीहा, किशुनपुर आदि के इलाके आते हैं। यहां से सर्वाधिक चार बार राधाकृष्ण किशोर चुनाव जीते हैं। छतरपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिल चुका है।
बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी में आता है। इसमें पांडु, उंटारीरोड, मझिआंव नगर पर्षद, नावाबाजार आदि के क्षेत्र आते हैं। यहां से चार बार ददई दुबे चार बार चुनाव जीते हैं। बिश्रामपुर व मझिआंव को नगर पंचायत का दर्जा मिल चुका है।
गढ़वा विधानसभा सीट वर्ष 1957 से अस्तित्व में आया है। यह सीट सामान्य श्रेणी में आता है। अब तक यहां से 14 विधायक चुने गये हैं।
भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र 1957 से अस्तित्व में आया था। यह सीट भी सामान्य श्रेणी में आता है। अब तक यहां से 13 विधायक चुने गये हैं, सबसे अधिक यहां से कांग्रेस ने जीत हासिल की है।
हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी में आता है। इसमें हैदरनगर, मोहम्मदगंज, हरिहरगंज, पीपरा के क्षेत्र आते हैं। यहां से हरिहर सिंह चार बार चुनाव जीते थे।

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