बिहार में हम साथ साथ हैं, झारखंड में हम आपके हैं कौन

बिहार में भाजपा के साथ हाथ में हाथ डालकर सरकार चलाने वाले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार रांची आकर भाजपा को आँखें दिखा गए चुनौती दे गए। जदयू अभी झारखंड में जमीन तलाश रही है, लेकिन हौंसला बुलंद किये हुए है विधानसभा की सभी 81 सीटों पर मुकाबले का। प्रदेश जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में शनिवार को शामिल होने आये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्यकर्ताओं में जोश भरा। इस दौरान उन्होंने जहां विकास के बिहार मॉडल से कार्यकर्ताओं को रूबरू कराया, वहीं झारखंड फतह के कुछ टिप्स भी दिए।

नीतीश ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किसी भी तरह की छेड़छाड़ का विरोध किया और आदिवासियों को साधने की कोशिश की, वहीं झारखंड की भौगोलिक संरचना के अनुरूप क्षेत्रवार विकास (प्रमंडलवार) की बात कर सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की बात भी की। उन्होंने इस बीच पूर्ण शराबबंदी की वकालत की, तो पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा से जोडऩे के लिए 27 फीसद आरक्षण की आवश्यकता बताई। हर तबगे के लिए कुछ न कुछ सपने उन्होनें अपने पितरेय से निकाले, इसी तरह बुनकरों को सशक्त करने, वक्फ बोर्ड को क्रियाशील बनाने की बात कह अल्पसंख्यकों को भी अपना बनाने की कोशिश की।

प्रदेश जदयू अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने इस दौरान राजनीतिक प्रस्ताव पेश किए। उन्होनें कहा कि जदयू अनुसूचित जनजातियों को 32, अनुसूचित जातियों को 14, ओबीसी को 27 तथा अन्य को 10 फीसद आरक्षण दिए जाने का पक्षधर है। झारखंड जदयू सक्षम विकल्प बनने के लिए विधानसभा की सभी 81 सीटों पर चुनाव लडऩे के लिए कोशिश कर रहा है।

नीतीश कुमार ने विकास के मामले में झारखंड की तुलना बिहार से करते हुए कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज्य के बंटवारे के बाद लोग कहा करते थे, बिहार में अब सिर्फ लालू, आलू और बालू बचा है। अविभाजित बिहार का 54 फीसद हिस्सा बिहार, जबकि 46 फीसद हिस्सा झारखंड के पाले में गया, जहां खनिज-संपदा की प्रचूरता है। प्रति वर्ग किलोमीटर आबादी का राष्ट्रीय औसत 300 था, जबकि बिहार का 11 सौ। झारखंड की तुलना में बिहार की परिस्थितियां विपरीत थीं। इसके बावजूद जब वहां का विकास हो सकता है, तो झारखंड का क्यों नहीं?

आने वाले विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए उन्होंने प्रदेश जदयू को चुनावी रणनीति तैयार करने की राय दी। कहा कि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व हर स्तर पर उन्हें मदद करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति की जंग एक ही बार में जीत ली जाए, यह जरूरी नहीं है। बस बेहतर प्रयास होने चाहिए, परिणाम आएगा ही। जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर, बिहार के समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह कुशवाहा, बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा, सांसद राजीव रंजन सिंह, श्रवण कुमार, भगवा सिंह, कृष्णानंद मिश्रा, संजय सहाय, रमेश सिंह आदि ने भी इस दौरान अपने विचार रखे।

नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार में शराबबंदी से राजस्व मद में 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। लेकिन, सवाल जहां जनहित का हो, राजस्व की बातें नजरअंदाज कर देनी चाहिए। झारखंड की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जतरा टाना भगत से लेकर आधुनिक झारखंड के निर्माण का सपना देखने वाले डॉ. रामदयाल मुंडा तक शराबबंदी के पक्षधर रहे हैं। फिर सरकार इस मोह को क्यों ढोना चाहती है?

इशारों इशारों में नितीश ने बीजेपी को भी चुनौती दी और कहा झारखंड में जमीन, रोजगार भाषा, संस्कृति, सरना धर्म, विस्थापन, पलायन, ग्रामसभा को संविधान प्रदत्त अधिकार दिलाने की दिशा में किसी भी सरकार ने सार्थक प्रयास नहीं किया। कहा कि भाजपा आरक्षण और आदिवासी-मूलवासी विरोधी है। उसने कई मौकों पर सीएनटी और एसपीटी एक्ट को तोड़ा है।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1