AIMPLB बैठक पर बोले पक्षकार इकबाल अंसारी, कहा- इस मामले को यहीं करें खत्म…

अयोध्या राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम पक्षकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने और अयोध्या में 5 एकड़ जमीन के मसले पर लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आयोजित की जा रही है। हालांकि इस बैठक का बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने बहिष्कार कर दिया है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह हिंदुस्तान का अहम फैसला था, हम अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे।

इतना ही नहीं इकबाल अंसारी ने यह भी कहा कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए। जितना मेरा मकसद था, उतना मैंने किया। घर अल्लाह का है और अल्लाह मालिक है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जो फैसला कर दिया, उसे मान लो। अयोध्या समेत पूरे देश में शांति का माहौल बना रहे, देश तरक्की करें। और आगे बढ़े। हम पक्षकार थे और हम अब रिव्यू दाखिल करने आगे नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि पक्षकार ज्यादा हैं, कोई क्या कर रहा है, नहीं मालूम लेकिन हम रिव्यू दाखिल नहीं करेंगे।

जिलानी ने जताई अपील की इच्छा

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने बताया कि मौलाना रहमानी ने रविवार को होने वाली बोर्ड की वर्किंग कमेटी की महत्‍वपूर्ण बैठक से पहले रामजन्‍मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले से जुड़े विभिन्‍न मुस्लिम पक्षकारों की राय जानने के लिए बुलाया था। जिलानी ने बताया कि मामले के मुद्दई मुहम्‍मद उमर और मौलाना महफूजुर्रहमान के साथ-साथ अन्‍य पक्षकारों हाजी महबूब, हाजी असद और हसबुल्‍ला उर्फ बादशाह ने मौलाना रहमानी से मुलाकात के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय समझ नहीं आया है। इसलिए इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिए। जिलानी ने कहा कि इन पक्षकारों ने यह भी कहा कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन नहीं चाहिए।
मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन पर भी होगी चर्चा

सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आज होने वाली बैठक में इस पर भी चर्चा की जाएगी कि 5 एकड़ जमीन लेनी है या नहीं। शनिवार को लखनऊ के नदवा कॉलेज में हुई मुस्लिम पक्ष की बैठक में रिव्यू पीटिशन दायर करने पर रजामंदी हो चुकी है।

पुनर्विचार याचिका पर मुस्लिम पक्ष में असमंजस

इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सभी सदस्य एकमत नहीं हैं। मौलाना कल्बे जव्वाद कह चुके हैं कि देश को दोबारा इस मसने में डालना सही नहीं है। दूसरी तरफ शनिवार को हुई बैठक में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हिस्सा नहीं लिया। दोनों पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि इस मसले पर कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेंगे। हालांकि इस मामले में एम आई सिद्दीकी समेत बाकी तीन पक्षकारों ने याचिका दायर करने को लेकर सहमति जताई है।

पुनर्विचार याचिका का विकल्प

जानकारी के मुताबिक जफरयाब जिलानी के साथ उनके कुछ समर्थक सदस्य रिव्यू पिटीशन दाखिल करने के पक्ष में हैं। उनका तर्क है कि कानूनी रूप से जब रिव्यू पिटीशन का विकल्प मिला हुआ है तो हमें इसका इस्तेमाल जरुर करना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में एक बड़ा तबका है, जिनके तर्क हैं कि एक बड़ी समस्या का अंत हो गया है। ऐसे में हमें अब इस मामले को फिर से नहीं बढ़ाना चाहिए।

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