International Nurses Day 2021

जानिए अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का इतिहास व महत्व

हर साल 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। साल 1820 में इसी दिन, फ्लोरेंस नाइटिंगेल, दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नर्स का जन्म हुआ था। वह एक इंग्लिश नर्स, एक समाज सुधारक और एक स्टैटस्टिशन थीं, जिन्होंने आधुनिक नर्सिंग के प्रमुख स्तंभों की स्थापना की।

आज दुनियाभर के ज़्यादातर देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं। International Nurses Day, इस भयंकर महामारी के बीच, ख़ास महत्व रखता है। नर्स अस्पतालों और क्लीनिकों की रीढ़ की हड्डी होती हैं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर महीनों तक Covid-19 के लाखों मरीज़ो की देखभाल करती हैं।

International Nurses Day उनके लिए हमारी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करने का एक शानदार अवसर है। आईसीएन (इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स) के अनुसार, 31 दिसंबर 2020 तक, 34 देशों में 1.6 मिलियन से अधिक स्वास्थ्यकर्मी Covid-19 से संक्रमित हुए। ICN के प्रमुख स्तंभ हैं: व्यावसायिक अभ्यास, विनियमन और सामाजिक-आर्थिक कल्याण।
इतिहास

अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग की एक अधिकारी डोरोथी सुदरलैंड ने पहली बार नर्स दिवस मनाने का प्रस्ताव 1953 में रखा था। पहली बार इसे साल 1965 में मनाया गया था। जनवरी, 1974 में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई। इसी दिन यानी 12 मई को आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन को ही अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। 1965 से अभी तक यह दिन हर साल इंटरनैशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा International Nurses Day के रूप में मनाया जाता है। इंटरनैशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज इस मौके पर नर्सों के लिए नए विषय की शैक्षिक और सार्वजनिक सूचना की जानकारी की सामग्री का निर्माण और वितरण करके इस दिन को याद करता है।
महत्व

कोविड-19 महामारी से लड़ने में नर्सें सबसे आगे हैं। डॉक्टर्स और दूसरे हेल्थ केयर वर्क्स की तरह नर्सें भी बिना आराम किए लगातार मरीज़ों की देखभाल कर रही हैं। नर्स एकमात्र स्वास्थ्य पेशेवर होते हैं, जिन्हें लोग अक्सर संकट की स्थिति में देखते हैं। WHO के अनुसार, ” दुनिया के सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में आधे से अधिक योगदान नर्सों का है, फिर भी दुनिया भर में 5.9 मिलियन (2020) नर्सों की तत्काल कमी है, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नर्सों की अभी भी ज़रूरत है।”

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