WC: इस बार होगा वो कारनामा, जो भारतीय क्रिकेट के 50 साल के इतिहास में नहीं हुआ

टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप में तहलका मचा दिया है. सातवें लीग मैच में उसने श्रीलंका को 302 रन से हराकर सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली. सेमीफाइनल में पहुंचने वाली वो पहली टीम है. रनों के अंतर के लिहाज से वर्ल्ड कप इतिहास की ये दूसरी सबसे बड़ी जीत है. भारतीय टीम ने जिस अंदाज में बल्लेबाजी की उससे लगता है कि 50 साल के अपने वनडे इतिहास में नया मुकाम रचने वाली है.

कहानी को फ्लैशबैक से शुरू करते हैं. 13 जुलाई 1974 की बात है. भारतीय टीम पहली बार वनडे फॉर्मेट में मैच खेलने के लिए मैदान में उतरी थी. मुकाबला इंग्लैंड से था और स्टेडियम था लीड्स. महान क्रिकेटर अजीत वाडेकर तब भारतीय टीम के कप्तान हुआ करते थे. वनडे फॉर्मेट में तब 55 ओवर का मैच हुआ करता था. सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, फारूख इंजीनियर, मदन लाल, एकनाथ सोलकर, बिशन सिंह बेदी, वेंकटराघवन जैसे खिलाड़ी उस मैच में भारतीय टीम का हिस्सा थे.

तब भी मैच में 15 गेंद का खेल बाकि था, वो भी चाहते तो आराम से अपना शतक पूरा कर सकते थे, लेकिन इन तीनों बल्लेबाजों ने अपने व्यक्तिगत रिकॉर्ड की बजाए टीम के हित को ध्यान में रखा. वरना एक पारी में 3 शतक के रिकॉर्ड वाली लिस्ट में भारतीय टीम का नाम भी दर्ज हो जाता.

शतक नहीं टीम का स्कोर है प्राथमिकता

अमूमन ऐसा होता है कि शतक के करीब पहुंचकर ज्यादातर बल्लेबाज के रनों की रफ्तार कम हो जाती है. वो शतक बनाने के लिए थोड़ा सतर्क हो जाता है. शतक बनाने के बाद वो एक बार फिर खुलकर शॉट्स लगाता है और अपने स्ट्राइक रेट को ठीक कर लेता है, लेकिन कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि बल्लेबाज शतक लगाने में एक्सट्रा गेंद खेलते हैं और शतक के तुरंत बाद आउट हो जाते हैं. ऐसे में टीम के स्कोरबोर्ड पर कुछ रन कम जुड़ते हैं.

भारतीय टीम के बल्लेबाज ऐसा करने से बचते हैं. उन्हें पता है कि वर्ल्ड कप जीतना है तो व्यक्तिगत उपलब्धियों को दूर रखना होगा. इसी वर्ल्ड कप में कप्तान रोहित शर्मा दो शतक से चूक गए हैं. पाकिस्तान के खिलाफ वो 86 रन बनाकर आउट हुए थे. जबकि इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 87 रन पर अपना विकेट गंवाया था. अब जब टीम कप्तान ही अपने शतक की परवाह किए बिना टीम के स्कोरबोर्ड को मजबूत कर रहा है तो बाकि खिलाड़ी भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं. बावजूद इसके जितने मामूली अंतर से खिलाड़ियों ने शतक ‘मिस’ किया है, ये साफ है कि जिस दिन थोड़ा सा साथ किस्मत का भी मिल गया एक पारी में तीन शतक के बड़े रिकॉर्ड में भारतीय टीम का नाम भी जुड़ जाएगा. क्या पता वो दिन इसी वर्ल्ड कप में देखने को मिले.

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