भारत कोरोना युद्ध को घर बैठकर लड़ेगा और जीतेगा भी

धर्मपाल सिंह
संगठन मंत्री, बीजेपी(झारखण्ड)

21 दिनों का सम्पूर्ण लॉकडाउन होने के बावजूद जिसप्रकार देश भर के 45 जिलों से निकलकर धीरे धीरे लगभाग 300 से अधिक जिलों में कोरोना के मामले सामने आए उससे तय था मननीय प्रधानमंत्री जी को लॉकडाउन बढ़ाना पड़ेगा और वही हुआ अब 3 मई तक के लिए सम्पूर्ण देश में पहले से और कठोरता के साथ देशबंदी को बढ़ाया गया है।


आज जरूर हमें इसकी वजह से बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन अगर हम चीन ,यूरोप, या दुनिया के सर्वशक्तिमान देश को देखें तो समझ आएगा यह कितना गम्भीर व जानलेवा वायरस है जिसके वजह से लगभग पूरे यूरोप ने घुटने टेक दिए हैं और अमेरिका जैसा विकसित देश भी आज कोरोना के आगे बेबस है वहाँ 677,570 संख्या पीड़ित मरीजों की है व कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 34,617 है, इटली, स्पेन के हालात किसी से छुपे नहीं है वहाँ मृत शरीरों को उठाने के लिए न लोग मिल रहे न ज़मीन मिल रही है अब सेना को इस काम के लिए लगाया है इससे ज्यादा दुखद दृश्य मानवजाति के लिए और कुछ नहीं हो सकता।

लेकिन अगर देश की सत्ता में उच्च स्थान पर बैठे लोगों की इच्छाशक्ति व देश के नागरिकों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण हो ना कि देश की अर्थव्यवस्था, तो उसका जीता जागता उदाहरण है भारत।

भारत समेत पूरी दुनिया में सरकारों के सामने आर्थिक मोर्चे पर अभी तिहरी चुनौती है। एक तरफ काफी पहले से निजी क्षेत्र की ओर उन्मुख हो चुके स्वास्थ्य और चिकित्सा ढांचे के बल पर विशाल आबादी की कोरोना वायरस से जुड़ी जांच कराना और बड़ी तादाद में लोगों का इलाज सुनिश्चित करना, जिसके लिए सरकारी खजाने से काफी सारी रकम खर्च करनी पड़ रही है। दूसरे, बिना किसी काम-धाम के अपने घरों में कैद करोड़ों लोगों के कम से कम तीन-चार महीने की जीविका और तीसरे, आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी- 2008 तो क्या, 1929 की महामंदी से भी बड़ी- आर्थिक मंदी से यथाशीघ्र उबरने का एक खाका भी तैयार रखना, ताकि महामारी से बचे लोग आने वाले दिनों में बेरोजगारी और भुखमरी के शिकार न हो जाएं।

अपने यहां वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने पेंशनयाफ्ता बुजुर्गों, अकेले घर चलाने वाली महिलाओं, दिव्यांगों और अकुशल ग्रामीण मजदूरों से लेकर किसानों, कंपनी कर्मचारियों और स्व-सहायता समूहों तक के लिए 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये की ऐसी कई योजनाएं घोषित की हैं, जिनके जरिये तीन महीने तक या तो कुछ अतिरिक्त रकम सीधे उनके खाते में जाएगी, या अपनी ही रकम एडवांस में निकाल कर वे अपने पारिवारिक खर्चे पूरे कर सकेंगे।

जिसने अर्थव्यवस्था से ज्यादा भारतीयों की जान को महत्वपूर्ण माना और बिना देरी किये देश में पहले 1 दिन फिर 21 दिन और अब 19 दिन का लॉकडाउन घोषित कर दिया यह कदम उठाने से राजस्व पर भारी भरकम भोज पड़ने वाला है लेकिन मोदी जी ने पहले नारा दिया था ‘जान है तो जहान है’ और इस बार 7 सूत्रीय शर्तो के साथ 19 का लॉकडाउन बढ़ाया व सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में एक नया नारा भी दिया ‘ जाना भी और जहान भी’ पर ध्यान केंद्रित करने को कहा जिससे साफ है सरकार आर्थिक मोर्चे पर भी कमजोर नहीं होना चाहती है साथ ही किसान व मज़ूदर वर्ग को विशेष ध्यान में देखकर कुछ शर्तों के साथ उनको काम करने की इजाज़त दे दी गई है।

देश की अधिकतर राजनीतिक पार्टियां अभी लॉकडाउन को पूरी तरह हटाने के पक्ष में नहीं थी उनका मानना था कि इसे हटाया भी जाए तो चरणबद्ध तरीके से। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संसद के दोनों सदनों में विभिन्न राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स के साथ बातचीत की।

पीपीई समेत सभी मेडिकल इक्विपमेंट मुहैया कराने की बात शामिल की गई। ज्यादातर नेताओं का मानना था कि लॉकडाउन के सकारात्मक नतीजे निकले हैं, लेकिन संक्रमितों की संख्या अब भी लगातार बढ़ रही है लिहाजा इसे अभी नहीं बल्कि धीरे-धीरे करके ही हटाया जाए।


पहले इसे ग्रामीण इलाकों से हटाया जाए क्योंकि कई इलाकों में फसल कटाई का काम आगे नहीं टाला जा सकता। शहरों में भी अधिक प्रभावित क्षेत्रों में बाद में हटाया जाए, कम प्रभावित इलाकों में शुरू में हटाया जा सकता है।

सांसदों की यह भी राय थी कि राहत कार्यों को लेकर सरकार की जो नीतियां हैं, उनका ठीक से प्रचार किया जाए ताकि जरूरतमंद उसका लाभ ले सकें। कोरोना के खिलाफ संयुक्त रणनीति बनाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी लगातार देश के जिम्मेदार लोगों से बात कर रहे हैं।

इससे पहले उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी दलों के कई नेताओं से बातचीत की थी और बीते दो अप्रैल को राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया था। अभी के माहौल में प्रधानमंत्री जी ने व्यापक राजनीतिक दायरे से सलाह लेकर व समाज के हर अपेक्षित वर्ग से इसके बारे में चर्चा करके एक प्रधानसेवक की भूमिका को बखूबी निभाया है जिसकी तारिफ आज देश ही नहीं पूरी दुनिया में हो रही है, हाल ही मैं दुनिया भर में भारत की पहचान एक बार फिर विश्वगुरु के रूप में तब हुई जब अमेरिका जैसे देश ने भी मदद के लिए सिर्फ भारत को पुकारा, वही मोदी जी ने पहले अपने पड़ोसी मुल्कों की मदद स्वयं की और बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, जैसे लगभग 13 देशों में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की पहली खेप भेज दी, उसके बाद अन्य देशों को जैसे स्पेन, इजराइल, ब्राज़ील अमेरिका तक मदद पहुँचाई यह दर्शाता है इस संकट की घड़ी में कैसे भारत ने संजीवनी बूटी की तरह इस दवाई की सेवा देकर एक बार फिर हमारा मूल मंत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को साकार किया।

आंकड़ो की बात करें तो भारत में अभी कुल मरीजों की संख्या 13430 है, कुल 448 लोगों की मृत्यु इसके चलते हुई है तथा अछि खबर ये है 1768 लोग कुल अभी तक ठीक भी हुए है तो यह भी एक विचार करने का विषय है अगर सही समय पर डॉक्टरों को जानकारी देदी जाए तो इसमें जान बचाई जा सकती है क्यूंकि इसमें मृत्यु दर केवल 6% प्रतिशत है और हमारे यहाँ उससे भी कम
इसके साथ ही संक्रमण के पुष्ट मामलों में से जान गंवाने वालों की दर अमेरिका और भारत में समान है। यह 3.4 फीसद है। वहीं प्रति एक लाख की आबादी पर अमेरिका में 7.19 फीसद लोगों ने जान गंवाई है तो भारत में प्रति लाख लोगों पर 0.03 फीसद लोगों की जान गई है।


जो कि अन्य देशों की तुलना में देखा जाए तो बेहद कम है और उसका कारण है केंद्र सरकार की मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति व हमारे कोरोना वारियर्स चाहे फिर वो मेडिकल स्टाफ हो, पुलिस ,सफाई कर्मचारी या किसी रूप से इस वक़्त काम करने वाले सभी लोग इसके लिए बधाई के पात्र हैं लेकिन फिर भी हमारे लिए यह संख्या चिंता का विषय है क्यूंकी दिल्ली, महाराष्ट्र ,तमिलनाडु जैसे राज्यों में मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बड़ जिसका एक तब्लीग़ी जमात के लोगों द्वारा जो आपराधिक कार्य किया गया है और कानून का उल्लंघन करके जगह जगह इसको फैलाने के साज़िश की गई है इस पर जरूर एक निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए और जो भी दोषी हो उनपर सख्त कार्यवाही हो वही बात करें झारखंड की तो यहाँ कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। अब इस वायरस का फैलाव राज्य के आधा दर्जन जिलों में हो गया है। बुधवार को कोरोना से संक्रमित एक और मरीज मिला है। इसके साथ ही झारखंड में कोरोना पॉजिटिव की संख्‍या बढ़कर 29 हो गई है वहीं  2 ने अबतक जान गंवा दी है राज्य सरकार को और सख्ती बढ़ानी चाहिए तथा जाँच करने मैं तेजी लाने की जरूरत है।

चूंकि हम एक बड़ी और साथ ही सघन आबादी वाले देश हैं, इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। इस जिम्मेदारी का परिचय इसलिए देना होगा, क्योंकि कितना भी सक्षम स्वास्थ्य तंत्र हो, वह महामारी का सामना करते समय समस्याओं से घिरता ही है। जब स्वास्थ्य तंत्र को समर्थ बनाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए जा रहे हों, तब नागरिक के तौर पर हम सबको अपनी जिम्मेदारी का परिचय देने के लिए तत्परता दिखानी चाहिए। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है कि किसी से कहीं कोई गफलत न होने पाए, क्योंकि कोरोना संक्रमित एक अकेले शख्स की लापरवाही सैकड़ों लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल सकती है। यह राष्ट्रीय संकल्प बनना चाहिए कि ऐसा नहीं होने देना है और देश को उस तीसरे दौर में नहीं जाने देना है, जहां संक्रमण बेलगाम-सा हो जाता है। हमने पहले भी पोलियो, कॉलरा, टी•बी• जैसे रोगों को हराया है।

भारत कोरोना से लड़ेगा भी, जीतेगा भी..!

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1