जहां एक ओर देश में कोरोना का कहर जारी है वहीं देश के कुछ राज्यों में मानसून की शुरूआत होते ही बाढ़ समस्या से लोग हलकान हो रहे हैं। बात करें बिहार की तो उत्तर बिहार में भारी बारिश के बाद बाढ़ की स्थिति विकराल हो गई है। उत्तर बिहार की सभी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया है। हर साल की तरह इस साल भी बिहार के सहरसा, मोतिहारी, बेतिया समेत अन्य जिले में गंडक,बागमती के साथ कोसी नदी उफान पर है। तटबंधों पर भी दबाव काफी बढ़ गया है, जिससे तटबंध के आसपास के गांव में लोगों में बेचैनी बढ़ गई है। इस बेचैनी को भारी बारिश के कारण तटबंध में कटाव ने और बढ़ा दिया है।
आपको बता दें मोतिहारी जिले में बूढ़ी गंडक का जलस्तर बढ़ गया है। जिसकी वजह से लाल बकेया का जलस्तर खतरे के निशान से 71‘12 मीटर से एक मीटर ऊपर पहुंच गया है। गंडक बराज से 2.51 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने की वजह से जलस्तर में तेजी से बढोतरी हो रही है। जबकि पताही में लालबकेया और बागमती दोनों का पानी फैलने लगा है। वहीं बाढ़ की वजह से मोतिहारी के अन्य कई जिलों में यातायात पूरी तरह ठप हो गया है।
वहीं बेतिया के बाल्मीकिनगर में गंडक का पानी फैलने लगा है। बाल्मीकिनगर के झंडाहवा टोली एसएसबी सीमा चौकी में भी बीते शनिवार को बाढ़ का पानी घुस गया। यहां जवान नाव के सहारे ही चौकी तक आवाजाही कर रहे हैं। वहीं चकदहवा, काननी टोला, बीन टोली में भी बाढ़ का पानी घुस गया है जबकि पिपरासी, के कांटी टोला, बलुआठोड़ी, मदरहवा, टांडी टोली, कठहरवा और पिपरासी में भी गंडक का पानी घुस गया है। गंडक नदी के बढ़े हुए जलस्तर से इन इलाकों में सैकड़ों एकड़ फसल भी डूब चुकी है। जिस हिसाब से गंडक नदी के पानी का फैलाव हो रहा है, उससे अगले दो से तीन दिनों के अंदर यहां स्थिती और भयावह हो जाने की आशंका है।
आपको बता दें बिहार के शिवहर जिले में भी बागमती नदी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है। जिसकी वजह से मोतिहारी से शिवहर का संपर्क टूट गया है। बाढ़ का पानी शिवहर जिले के नीचले इलाकों में तेजी से फैलने लगा है। हजारों हेक्टेयर खेत पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। लोग शरण लेने के लिए ऊचे इलाकों में पलायन कर रहे हैं।