celebratory material on violence

भारत में भ्रामक सूचनाओं को लेकर संघर्ष कर रही Facebook कंपनी- रिपोर्ट

Facebook In India: फेसबुक (Facebook) के आंतरिक दस्तावेज बताते हैं कि कंपनी अपने सबसे बड़े बाजार भारत में भ्रामक सूचना, नफरत फैलाने वाले भाषण व हिंसा पर जश्न से जुड़ी सामग्री से निपटने के लिए संघर्ष कर रही है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट मीडिया कंपनी के शोधकर्ताओं ने रेखांकित किया है कि ऐसे समूह और पेज हैं जो भ्रामक व भड़काऊ सामग्री से भरे हैं। शनिवार को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक (Facebook) के शोधकर्ताओं ने फरवरी 2019 में एक यूजर अकाउंट बनाया, ताकि देखा जा सके कि केरल वासियों को इंटरनेट मीडिया वेबसाइट कैसी दिखती है।


कंपनी की आंतरिक रिपोर्ट में भड़काऊ भाषण व हिंसा पर जश्न की सामग्री को बताया गया बड़ी चुनौती

रिपोर्ट के अनुसार, ‘3 हफ्ते तक अकाउंट को सामान्य नियम के तहत चलाया गया। नतीजतन, नफरत फैलाने वाले भाषण, भ्रामक सूचना व हिंसा पर जश्न मनाने जैसी पोस्ट की बाढ़ आ गई।’ ये दस्तावेज उस बड़ी सामग्री का हिस्सा हैं, जिन्हें फेसबुक (Facebook) के पूर्व कर्मचारी फ्रांसेस हागेन ने इकट्ठा किया है। फ्रांसेस ने हाल ही में अमेरिकी सीनेट के सामने कंपनी व उसके इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के बारे में अपना पक्ष रखा है।


प्रेस सहित समाचार संगठनों के समूह को प्राप्त दस्तावेज के मुताबिक, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि फर्जी अकाउंट धारक किस प्रकार भारत के सत्तारूढ़ दल व विपक्षी नेताओं को टैग करते हुए राष्ट्रीय चुनाव को प्रभावित करते हैं। वर्ष 2019 के आम चुनाव के बाद निर्गत अलग रिपोर्ट में फेसबुक (Facebook) ने पाया कि बंगाल में 40 फीसद से ज्यादा टाप व्यू या इंप्रेशन फर्जी या अनाधिकृत थे। एक अनाधिकृत अकाउंट के पास तो 3 करोड़ इंप्रेशन थे। व्यू या इंप्रेशन का अर्थ है कि आपके फेसबुक (Facebook) पेज पर पोस्ट की गई सामग्री कितने लोगों ने देखी।
एडवर्सेरियल हार्मफुल नेटव‌र्क्स

इंडिया केस स्टडी नामक इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि फेसबुक (Facebook) संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के ‘सार्थक सामाजिक अभियान’ भी भ्रामक सूचनाओं का शिकार हो गया। दस्तावेज बताते हैं कि फेसबुक (Facebook)के पास भारत में समस्याओं के निराकरण के लिए संसाधन कम हैं। देश में मान्यता प्राप्त 22 में से केवल 5 भाषाओं में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) आधारित सामग्री विश्लेषण की सुविधा है, लेकिन इनमें हिंदी व बांग्ला भाषाएं अभी शामिल नहीं हैं।

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