भारत ने रीजनल कॉम्प्रिहंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) में शामिल न होने का फैसला लिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि RCEP के तहत कोर हितों पर कोई समझौता नहीं होगा। भारत का कहना है कि RCEP समझौता अपनी मूल मंशा को नहीं दर्शा रहा है और इसके नतीजे संतुलित और उचित नहीं हैं। भारत ने इस समझौते में कुछ नई मांग रखी थी। भारत का कहना था कि इस समझौते में चीन की प्रधानता नहीं होनी चाहिए, नहीं तो इससे भारत को व्यापारिक घाटा बढ़ेगा।
आरसीईपी (RCEP) समिट में पीएम मोदी ने कहा, ‘ऐसे फैसलों में हमारे किसान, व्यापारी, प्रफेशनल्स और उद्योगों की भी बराबर भागीदारी होनी चाहिए। कामगार और ग्राहक दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, जो भारत को एक विशाल बाजार और क्रय शक्ति के मामले में देश को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाते हैं।’
बैंकॉक यात्रा पर रवाना होने से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था कि RCEP बैठक में भारत इस बात पर गौर करेगा कि क्या व्यापार, सेवाओं और निवेश में उसकी चिंताओं और हितों को पूरी तरह से ध्यान रखा गया है या नहीं। सब ठीक तरह से जानने समझने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा।