इजराइल की अब ईरान से सीधी जंग, मिडिल ईस्ट और दुनिया पर क्या होगा असर?

Iran Israel War:दुनिया के नक्शे पर इस वक्त दो मोर्चों पर बड़ी जंग जारी है, एक ओर ढाई साल से रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है तो वहीं दूसरी गाजा में करीब एक साल से हमास के खिलाफ इजराइली हमले जारी हैं. दोनों ही मोर्चों पर सबसे ज्यादा नुकसान आम नागरिकों का हुआ है इन संघर्षों में हजारों लोग मारे जा चुके हैं, लाखों लोग विस्थापित हैं और न जाने कितने बच्चे अनाथ हो चुके हैं. ऐसे में अगर ईरान और इजराइल के बीच सीधी जंग शुरू होती है तो इसका पूरी दुनिया और मिडिल ईस्ट पर क्या असर होगा?

ईरान और इजराइल के बीच का तनाव अब बड़ी जंग में तब्दील होने को है. अब तक हमास, हिजबुल्लाह जैसे प्रॉक्सी गुटों से लड़ने वाले इजराइल को ईरान के खिलाफ सीधी जंग करने की एक बड़ी वजह मिल चुकी है. इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का बयान हो या ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान का, दोनों ही संकेत दे रहे हैं कि दुनिया ने मिडिल ईस्ट में अब तक जो देखा है वो महज एक ट्रेलर भर है.

इस संघर्ष में ईरान और इजराइल, दोनों ने एक-दूसरे के आगे झुकने से इनकार कर दिया है. मंगलवार रात हुए ईरान के हमले के बाद से यह साफ हो गया है कि अब न तो इजराइल चुप बैठेगा और न ही इजराइल की जवाबी कार्रवाई पर ईरान खामोश रहेगा. लेकिन क्या दुनियाभर के देश ईरान और इजराइल के बीच की जंग का नुकसान झेल पाएंगे?

दुनिया के नक्शे पर इस वक्त दो मोर्चों पर बड़ी जंग जारी है, एक ओर ढाई साल से रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है तो वहीं दूसरी गाजा में करीब एक साल से हमास के खिलाफ इजराइली हमले जारी हैं. दोनों ही मोर्चों पर सबसे ज्यादा नुकसान आम नागरिकों का हुआ है. इन संघर्षों में हजारों लोग मारे जा चुके हैं, लाखों लोग विस्थापित हैं और न जाने कितने बच्चे अनाथ हो चुके हैं. ऐसे में अगर ईरान और इजराइल के बीच सीधी जंग शुरू होती है तो इसका पूरी दुनिया और मिडिल ईस्ट पर क्या असर होगा?

  1. दो गुटों में बंट जाएगी दुनिया

ईरान और इजराइल के बीच सीधी जंग शुरू होती है तो दुनियाभर के देशों को अपना पक्ष चुनना ही पड़ेगा. अब तक दोनों देशों ने एक-दूसरे पर जो हमले किए हैं उससे कोई बहुत बड़ा नुकसान नहीं हुआ है और वो सांकेतिक हमले थे. अप्रैल में जब ईरान और इजराइल के बीच तनाव शुरू हुआ था तब दोनों ही देश किसी भी तरह के युद्ध से इनकार कर रहे थे, दोनों ओर से बयान आए कि वह तनाव को और बढ़ाना नहीं चाहते. लेकिन ईरान के हमले के बाद इजराइली प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि वह ईरान से सख्ती से निपटेंगे. वहीं ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने भी अपने इरादे साफ करते हुए नेतन्याहू को ईरान के साथ न उलझने की चेतावनी दे रहे हैं.

दोनों देशों के दुनिया के बड़े-बड़े देशों के साथ कूटनीतिक और रणनीतिक संबंध हैं. अब अगर सचमुच ईरान और इजराइल आमने-सामने होते हैं तो यकीनन इन देशों को अपना पक्ष चुनना पड़ेगा. अमेरिका ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह इजराइल के साथ मजबूती से खड़ा है. उधर रूस इस जंग में ईरान के साथ खड़ा दिख रहा है लेकिन वह किस हद तक साथ देगा ये देखने वाली बात होगी. चीन और नॉर्थ कोरिया भी ईरान के साथी हैं. वहीं ब्रिटेन, जर्मनी और इटली हमेशा से इजराइल का साथ देते आए हैं. ऐसे में तमाम पावरफुल प्लेयर और न्यूक्लियर पावर जब जंग क मैदान में कदम रखेंगे यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल होगा कि अंजाम क्या होगा?

  1. अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा

ईरान के हमले के बाद ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखा गया है, अगर ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष होता है तो तेल ही नहीं अन्य चीजों के भी दाम आसमान छूने लगेंगे. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोप पहले से ही काफी स्ट्रेस में है, जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल छाए हुए हैं. कोरोना महामारी से हुए नुकसान से कई देश अभी पूरी तरह उबर नहीं पाए और ऐसे में एक और जंग दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था को चौपट कर सकती है.

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विश्लेषक प्रकाश के. रे का कहना है कि लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमलों के चलते मालवाहक जहाजों की आवाजाही पहले से ही प्रभावित हो चुकी है, ईरान और इजराइल के बीच जंग होती है तो इससे पर्शियन गल्फ रूट भी प्रभावित होगा. यही नहीं दोहा एयरपोर्ट समेत कई देशों के एयरस्पेस बंद हो जाएंगे जो कनेक्टिविटी का एक बड़ा माध्यम हैं.

  1. लाखों लोगों की जान पर खतरा

ईरान एक बड़ी आबादी वाला देश है, इसकी ज्यादातर आबादी शिया है और यही वजह है कई सुन्नी मुस्लिम देश ईरान के खिलाफ नजर आते हैं. तुर्किए के राष्ट्रपति अर्दोआन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से गाजा और लेबनान में इजराइल के खिलाफ फोर्स भेजने की मांग कर चुके हैं. तुर्किए एक खुद एक बड़ी सैन्य ताकत होने के साथ-साथ NATO का सदस्य है, अगर ये जंग बढ़ती है और अमेरिका इजराइल का साथ देता है तो इसमें जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है. NATO देशों के साथ-साथ मुस्लिम देश खासकर अरब देशों का रुख क्या होगा ये भी देखने वाला होगा. क्योंकि सऊदी अरब और जॉर्डन लगातार कहते आए हैं कि वो अपने एयरस्पेस को जंग का अखाड़ा नहीं बनने देंगे लेकिन ईरान और इजराइल की सीधी जंग में इन्हें अपना पक्ष तय करना होगा. क्योंकि जॉर्डन और सऊदी अरब समेत मिडिल ईस्ट के 19 देशों में अमेरिका के मिलिट्री बेस हैं अगर अमेरिका इनका इस्तेमाल ईरान पर हमला करने के लिए करता है तो जाहिर तौर पर ये सैन्य अड्डे ईरान के निशाने पर होंगे. ऐसे में अरब देशों के लिए तटस्थ रुख अपनाना मुश्किल साबित होगा.

  1. भारत के लिए होगी बड़ी चुनौती

भारत एक ऐसा देश है जिसके ईरान और इजराइल दोनों से अच्छे संबंध हैं, इन दोनों देशों के साथ भारत के आर्थिक और कूटनीतिक संबंध मजबूत रहे हैं. ईरान पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने ईरान के साथ अपने रिश्तों में संतुलन बनाए रखा. उधर बीते एक दशक में भारत-इजराइल संबंधों में ज्यादा मजबूती देखने को मिली है, भारत इजराइल को बड़े पैमाने पर हथियार बेच रहा है और उससे तकनीक खरीद रहा है.

इसके अलावा भारत हमेशा से इजराइल-फिलिस्तीन विवाद को लेकर ‘2 स्टेट समाधान’ का पक्षधर रहा है. हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी जब अमेरिका यात्रा पर थे तब उन्होंने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात की थी. कुल मिलाकर इस जंग में भारत का किसी एक के साथ खड़ा होना मुश्किल है, हालांकि आर्थिक नुकसान का हवाला देकर वह ग्लोबल साउथ के साथ मिलकर इस जंग को रोकने की अपील जरूर कर सकता है.

5. अमेरिका, रूस और चीन होंगे बड़े प्लेयर

ईरान और इजराइल के बीच जंग होती है तो सबसे अहम भूमिका किसकी होने वाली है, इस सवाल के जवाब में अंतराष्ट्रीय मामलों के विश्लेषक प्रकाश के. रे का कहना है कि इस युद्ध में सबसे बड़े प्लेयर अमेरिका, रूस और चीन ही होंगे. अगर यह तीनों देश एक साथ टेबल पर बैठकर बातचीत करने को राजी होते हैं तो दुनिया में जारी युद्धों को रोका जा सकता है. लेकिन ऐसा होने की उम्मीद कम ही नजर आती है.

हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध और गाजा जंग के दौरान अमेरिका यूक्रेन और इजराइल की लगातार मदद कर रहा है, लेकिन क्या अमेरिका एक और बड़ी जंग को स्पॉन्सर करने की स्थिति में होगा? क्योंकि इजराइल तकनीकी तौर पर मजबूत है लेकिन वह हथियारों के लिए अमेरिका पर निर्भर रहता है जबकि ईरान दुनिया में सबसे ज्यादा ड्रोन्स बनाने वाले देशों में से एक है. ऐसे में अमेरिका इजराइल का साथ किस हद तक दे पाएगा ये देखने वाली बात होगी. उधर रूस ढाई साल से यूक्रेन के खिलाफ जंग में शामिल है और चीन की अर्थव्यवस्था फिलहाल कमजोर दौर से गुजर रही है ऐसे में क्या ये देश चाहेंगे कि इस ईरान और इजराइल के बीच की चिंगारी को और हवा दी जाए?

कुल मिलाकर ईरान और इजराइल के बीच जिस युद्ध की आशंका जताई जा रही है वह मिडिल ईस्ट समेत पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती है. लिहाजा यह समय उन देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो किसी न किसी तौर पर जंग को हवा देने की कोशिश में जुटे हैं.

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