हाथरस केस में बड़ा खुलासा हो रहा है। प्रवर्तन निदेशालय की शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, इस कांड के बहाने जातीय दंगा फैलाने के लिए पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पास मॉरिशस से 50 करोड़ आए थे। ED ने दावा किया है कि पूरी फंडिंग 100 करोड़ से अधिक रुपये की थी। पूरे मामले की तफ्तीश की जा रही है।
गौरतलब है कि हाथरस में दंगे की साजिश रचने के आरोप में मेरठ से 4 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था। चारों का PFI संगठन से रिश्ता बताया जा रहा था। पुलिस ने इनके पास से भड़काऊ साहित्य बरामद किया था। इससे पहले यूपी पुलिस ने एक वेबसाइट के जरिए दंगों की साजिश का दावा भी किया है।
हाथरस पीड़िता को इंसाफ के नाम पर बनाई गई इस वेबसाइट में कई आपत्तिजनक बातें कही गई थी। हाथरस में हिंसा की साजिश के पहलू पर ED ने भी केस दर्ज कर लिया है। ED की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि UP में जातीय हिंसा भड़काने के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग की गई थी।
यूपी सरकार के अनुसार, प्रदेश में UP में जातीय दंगों की साजिश कराकर दुनिया मैं PM नरेंद्र मोदी और CM योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने के लिए जस्टिस फार हाथरस नाम से रातों रात वेबसाइट तैयार हुई। वेबसाइट में फर्जी ID के जरिए हजारों लोग जोड़े गए।
यूपी सरकार का दावा है कि विरोध प्रदर्शन की आड़ में वेबसाइट पर देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका बताया गया। मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी। फंडिंग की बदौलत अफवाहें फैलाने के लिए सोशल मीडिया के दुरूपयोग के भी सुराग मिले हैं। जांच एजेंसियों के हाथ वेबसाइट की डिटेल्स और पुख्ता जानकारी लगी है.
यूपी सरकार के अनुसार, वेबसाइट में चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध प्रदर्शन की आड़ में निशाना बनाने की रणनीति बताई गई। बहुसंख्यकों में फूट डालने और प्रदेश में नफरत का बीज बोने के लिए तरह-तरह की तरकीबें बताई गई. वेबसाइट पर बेहद आपत्तिजनक कंटेंट मिले।